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गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिलती है तो बीएसपी को फायदा हो सकता है। वैसे भी बीएसपी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारती है और इस बार ऐसा ही करते हुए सपा को समर्थन दिया है। सपा व बसपा की हार का मतलब है कि दोनों पार्टी का वोट एक जगह नहीं पड़ा है। दोनों पार्टी के कैडर वोटर किस दल को वोट दिये हैं यह पता नहीं चल पायेगा। हार के बाद प्रत्याशियों के चयन पर ही सवाल उठने लगेगे। अखिलेश यादव ? ने इन सीटों पर चुनाव प्रचार व रोड शो तक किया था इसके बाद भी हार मिलने से अखिलेश यादव कमजोर होंगे। मायावती ने सिर्फ समर्थन देने का ऐलान किया था लेकिन सपा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं किया था इसलिए मायावती पर अधिक सवाल नहीं उठेंगे। लोकसभा चुनाव 2019९ में जब सपा व बसपा का गठबंधन होगा तो मायावती इन्हीं चुनावों के परिणाम का हवाला देते हुए अपने दल के लिए अधिक सीट मांगेंगी। उसे समय अखिलेश यादव के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती की बात को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा। ऐसे में बसपा की ताकत बढ़ जायेगी और सप को नुकसान उठाना पड़ेगा।
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सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की सीट फूलपुर का चुनाव परिणाम भी दोनों नेताओं के लिए बेहद खास है। यदि बीजेपी को जीत मिलती है तो दोनों नेताओं को फायदा होगा। दोनो नेताओं में जिसकी सीट पर हार मिलती है तो पार्टी में उसका कद कम हो जायेगा। अब देखना है कि 14 मार्च किस दल के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता है।
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