कुछ यही हाल विश्वतप्रसिद्ध कालीन नगरी भदोही का है। यहां समाजवादी पार्टी में दावेदारों की जहां लंबी लाइन है तो बसपा मे इक्के दुक्केज, लेकिन मजबूत नेताओं के नाम दावेदारी के लिए सामने आ रहे हैं। दोनों ही दलों के नेताओं का मानना है कि, गठबंधन में यह सीट जिस भी पार्टी खाते में जाएगी उसकी जीत सुनिश्चित है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भदोही सीट पर मोदी लहर में भाजपा को जहां 403544 लाख वोट मिले थे तो वहीं सपा-बसपा को मिला कर कुल 484120 लाख वोट मिले थे जो भाजपा के वोटों से 80 हजार से अधिक थे।
यही आंकड़ा दोनों दलों के नेताओं के जीत प्रति उत्साह को पंख लगा रहा है, लेकिन उस चुनाव में प्रत्यांशियों पर नजर डालें तो सपा से एक तरफ जहां बाहुबली विधायक की बेटी सीमा मिश्रा चुनावी मैदान में थीं तो वहीं पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी बसपा से मैदान में थे और उनके पास पार्टी के अलावा अपना भी वोट था, लेकिन यह बात अलग रही की मोदी लहर में सपा- बसपा प्रत्यानशी जीत के आंकड़ो से काफी दूर रहे।
लेकिन उस चुनाव में दोनों दलों के मिले वोटों के संख्याा पर गौर किया जाय तो राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, आज कि जो परिस्थिति है उस हिसाब भदोही लोकसभा में सपा-बसपा गठबंधन अगर ब्राम्हकण, मुस्लिम, विंद, मौर्या व यादव में किसी एक को अपना प्रत्याशी बनाती है लड़ाई काफी रोचक होगी।
सपा से इनका नाम है आगे समाजवादी पार्टी में टिकट के कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। जिसमें पूर्व विधायक जाहिद बेग, जिलाध्यदक्ष आरिफ सिद्धिकी, प्रदेश सचिव कुंवर प्रमोद चन्द्र मौर्य, डॉ. आरके पटेल सहित कई दावेदार हैं।
बसपा में इनके नाम हैं आगे बसपा में पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा का दावेदार के तौर पर नाम सामने आया है और अभी आने वाले समय में दावेदारों की संख्यार बढ़ती ही जाएगी।
ये है भदोही जिले का राजनीतिक इतिहास
ये है भदोही जिले का राजनीतिक इतिहास
भदोही लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो भदोही जिला 1994 में घोषित हुआ। उस समय संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर भदोही हुआ करता था और 2009 के लोकसभा चुनाव के समय भदोही 78 अलग संसदीय सीट बनी जिसमे जिले कि भदोही, औराई, ज्ञानपुर विधानसभा सीट और इलाहबाद कि प्रतापपुर और हंडिया सीट मिलकर बना। आमचुनाव और उपचुनाव में यह लोकसभा सीट तीन बार भाजपा, तीन बार सपा और तीन बार बसपा के पास गई, लेकिन पिछले कई सालों से कांग्रेस अपना कोई मुकाम नहीं बना पाई है।
वहीं सपा ने इस सीट पर अपना कब्ज़ा ज़माने के लिए मिर्जापुर भदोही लोकसभा सीट से 1996 में दस्यु सुंदरी फूलन देवी को मैदान में उतारा था। जहां फूलनदेवी की जीत हुई और उसके बाद फूलनदेवी दूसरी बार फिर सपा कि टिकिट से 1999 में जीती थीं। वर्तमान में इस सीट पर भाजपा के वीरेन्द्र सिंह का कब्जात है। मूल रूप से बलिया के रहने वाले वीरेन्द्रप सिंह इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। वर्तमान में चल रहे राजनीतिक गणित को देखा जाय तो 2019 में भदोही लोकसभा सीट पर भाजपा को दोबारा कब्जा जमाना पिछले चुनाव की तरह आसान नहीं होगा, लेकिन गठबंधन में यह सीट सपा-बसमा में किसके खाते में जायेगी यह काफी दिलचस्पह होगा।
input- महेश जायसवाल