काशी में एम्स की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन में बीएचयू के शिक्षकों को अमर्यादित शब्दों से नवाजा
वाराणसी. उत्तर प्रदेश के सियासी अखाड़े में जुबानी दांवपेंच थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजप-बसपा के बीच चल रहा जुबानी युद्ध अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि बनारस में सपा के जिलाध्यक्ष ने विवादित बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है। जिलाध्यक्ष के इस बयान से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढऩी तय हैं। सपा जिलाध्यक्ष सतीश फौजी का दावा है कि सन 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना ही पं. मदन मोहन मालवीय की हत्या के लिए की गई थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उस समय प्रयासरत मालवीय जी की हत्या करने के लिए आरएसएस के 25-26 लोग बनारस आए थे। फौजी का दावा है कि उस समय उनके बाबा ने मालवीय जी की जान बचाई और उन लोगों को मार भगाया था।
दरअसल काशी में एम्स की मांग को लेकर रविवार को काशीवासियों की तरफ से बीएचयू के सिंहद्वार पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। काशीवासियों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग है कि वाराणसी में बीएचयू से अलग एम्स की स्थापना हो। काशी में एम्स होता तो हाकी के सुल्तान मो. शाहिद को भी ईलाज के लिए भटकना नहीं पड़ता। काशीवासियों के इस आयोजन में सपा जिलाध्यक्ष भी शामिल हुए। मीडिया से बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर तीखे प्रहार करते हुए सतीश फौजी इस कदर रौ में बह गए कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर ऐसा आरोप लगा दिया जिससे राजनीति की दुनिया में नया भूचाल कभी भी आ सकता है। इतना हीं नहीं उन्होंने बीएचयू के प्रोफेसरों पर भी अशोभनीय टिप्पणी की। गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व सपा जिलाध्यक्ष सतीश फौजी ने सिंचाई राज्य मंत्री सुरेंद्र पटेल से अनबन के दौरान दिवंगत सांसद फूलन देवी को लेकर मुलायम सिंह यादव तक पर टिप्पणी कर दी थी।
क्या कहा सपा जिलाध्यक्ष ने आप भी सुनिए
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