हाल में बीजेपी ने लाया था अविश्वास प्रस्ताव जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में करीब साल भर का कार्यकाल पूरा करने के बाद ही अपराजिता के खिलाफ भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था लेकिन सपा की कूटनीति के आगे बीजेपी की एक न चली और जिस दिन जिला पंचायत कार्यालय में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी थी उस दिन बीजेपी का एक भी जिला पंचायत सदस्य मौके पर नहीं पहुंचा। लिहाजा अपराजिता की कुर्सी बच गई।
दल बदल में मामा का योगदान तो नहीं
बता दें कि अपराजिता सोनकर के मामा ने उनके राजनीतिक करियर को शीर्ष पर ले जाने के लिए काफी संघर्ष किया। लेकिन उनके मामा ने मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में सपा का दामन छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया और पार्टी ने उन्हें अजगरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट भी दे दिया। उसके बाद से ही यह कयास लगाया जाने लगा था कि देर सबेर वह बीजेपी ज्वाइन करेंगी और वह दिन शुक्रवार को आ ही गया जब उन्होंने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
बता दें कि अपराजिता सोनकर के मामा ने उनके राजनीतिक करियर को शीर्ष पर ले जाने के लिए काफी संघर्ष किया। लेकिन उनके मामा ने मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में सपा का दामन छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया और पार्टी ने उन्हें अजगरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट भी दे दिया। उसके बाद से ही यह कयास लगाया जाने लगा था कि देर सबेर वह बीजेपी ज्वाइन करेंगी और वह दिन शुक्रवार को आ ही गया जब उन्होंने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इंजीनियर हैं अपराजिता बता दें कि अपराजिता एक इंजिनीयर हैं। उनके पिता शिक्षक थे लेकिन उनके विरुद्ध एक गंभीर मामला न्यायालय में विचाराधीन है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अपराजिता के पिता के मामले की फाइल की धूल झाड़ कर फिर से निकाली गई थी उसके बाद से यह तय था कि अपराजिता जल्द ही बीजेपी ज्वाइन करेंगी।