बता दें कि प्रदेश के पूर्व लोकनिर्माण मंत्री व वरिष्ठ नेता सुरेंद्र पटेल लंबे अरसे से प्रयासरत थे कि बनारस में नरेंद्र मोदी के खिलाफ साझा प्रत्याशी आए। इसके लिए उन्होंने पार्टी नेतृत्व तक से मांग भी की थी। सुरेंद्र पटेल बनारस में नरेंद्र मोदी के खिलाफ हर कार्यक्रम में शामिल हुए। हर मुद्दे को उठाया। वह कभी कांग्रेस के साथ नजर आए तो कभी आम आदमी पार्टी के साथ। चाहे वह गंगा का मसला हो, नोटबंदी का मसला हो, जीएसटी का मसला हो या विकास का मुद्दा हो, विश्वनाथ कॉरिडोर के विरोध का मसला हो। हर कदम पर वह भाजपा और नरेंद्र मोदी का विरोध करते नजर आए।
हाल के दिनों में जब पूरे देश में मोदी और भाजपा के विरुद्ध एकता की बात उठी तो उसका भी पुरजोर समर्थन किया। वह लगातार इस कोशिश में लगे रहे कि वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ साझा उम्मीदवार आए। लेकिन जैसे ही समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी रहीं शालिन यादव को पार्टी ज्वाईन कराई और कुछ ही देर बाद उन्हें नरेंद्र मोदी के खिलाफ पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया तो सुरेंद्र ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया। सूत्र बताते हैं कि पटेल ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को यह भी सुझाव दिया था कि वह खुद ही एक प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजें कि प्रियंका गांधी को बनारस से मोदी के खिलाफ साझा प्रत्याशी बनाया जाए। लेकिन बता बनी नहीं और अखिलेश यादव ने शालिनी यादव को उम्मीदवार बना दिया।
इसके बाद से यह चर्चा तेज हो गई कि सुरेंद्र पटेल अब पार्टी छोड़ सकते हैं। सोमवार को नामांकन के अंतिम दिन दोपहर तक यही कयास लगाया जा रहा था कि सुरेंद्र अब पार्टी में नहीं रहेंगे। बल्कि वह अपने भाई पूर्व विधायक महेंद्र पटेल और अन्य समर्थकों संग पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन जैसे ही सपा ने शालिनी के साथ ही बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को टिकट दिया सुरेंद्र का तेवर भी अपेक्षाकृत मद्धिम हो गया।
सुरेंद्र पटेल ने मंगलवार को मीडिया के सामने कहा कि वह किसी कीमत पर शालिनी यादव का प्रचार नहीं करेंगे। कहा कि यह बात तीन बार अखिलेश यादव को बता चुके हैं। पटेल ने कहा कि अखिलेश यादव से उनकी चार-पांच चक्र वार्ता हुई। हर बार यही कहा कि साझा प्रत्याशी लाया जाए। लेकिन शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाने के बाद भी फोन कर स्पष्ट कर दिया कि वह शालिनी का प्रचार नहीं करेंगे। बकौल सुरेंद्र पटेल अखिलेश यादव ने कहा था कि 29 अप्रैल तक इंतजार कीजिए फिर जो भी निर्णय करें। अब 29 अप्रैल को तेजबहादुर यादव को अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने के बाद उन्होंने फिर मंगलवार की सुबह अखिलेश यादव से वार्ता की और फिर कहा कि तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। लेकिन किसी वजह से परिस्थितियां बदलती हैं तो उनका स्टैंड यही होगा कि वह शालिनी यादव का प्रचार नहीं करेंगे।
सपा नेता ने सभी विपक्षी दलों खास तौर से कांग्रेस नेतृत्व से अपील की कि अब भी मौका है, सभी पार्टियां तेजबहादुर यादव को साझा प्रत्याशी घोषित करें। कहा कि देश भर में प्रधानमंत्री को चौकीदार…. है का नारा बुलंद करने वाले असली जगह विरोध करने के लिए एक मंच पर साथ क्यों नहीं आते।
पूर्व मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों यह दुष्प्रचार किया है कि मैं भारतीय जनता पार्टी में जा रहा हूं, कहा कि जीते जी तो यह सवाल नहीं ही उठता, मेरे मरने के बाद मेरी लाश भी बीजेपी के पास नहीं जाएगी।
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