script#PersonOfTheWeek कभी पढ़ाई के लिये बेचने पड़े थे घर के बर्तन तक, अब गरीब छात्रों को मुफ्त में कराते हैं NET, JRF की कोचिंग | Special Story of Raja Pathak Who run Free Coaching of NET JRF | Patrika News

#PersonOfTheWeek कभी पढ़ाई के लिये बेचने पड़े थे घर के बर्तन तक, अब गरीब छात्रों को मुफ्त में कराते हैं NET, JRF की कोचिंग

locationवाराणसीPublished: Sep 13, 2019 08:08:41 pm

राजा पाठक हैं बनारस के आनंद कुमार हैं, बीएचयू में पेड़ के नीचे छात्रों को कराते हैं NET, JRF की कोचिंग।

कभी पढ़ाई के लिये बेचने पड़े थे घर के बर्तन तक, अब गरीब छात्रों को मुफ्त में कराते हैं NET, JRF की कोचिंग

कभी पढ़ाई के लिये बेचने पड़े थे घर के बर्तन तक, अब गरीब छात्रों को मुफ्त में कराते हैं NET, JRF की कोचिंग

डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. कहते हैं कि मुफलिसी इंसान की हिम्मत तोड़ देती है। पर कुछ चिराग आंधियों में भी रोशन रहते हैं। ऐसी शख्सियतों से हमारा समाज भरा पड़ा है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों से हार मानने के बजाय इसे चैलेंज समझा और मुकाबला कर अपना मुकाम हासिल किया। बीएचयू के संस्कृत धर्म विद्या संस्थान के शोध छात्र राजा पाठक ऐसा ही एक नाम है। राजा ने गुरबत के दिन देखे, ठोकरें खायीं, पर संघर्ष के आगे हिम्मत नहीं हारी। नतीजा, आज वो युवाओं के लिये मिसाल बन चुके हैं। वो ऐसी नयी पीढ़ी तैयार करने में जुटे हैं जो आने वाले समय में देश को योग्य शिक्षक दे सकेगी। वो इस काम में पिछले पांच साल से जुटे हैं।
इतना सुनने के बाद जेहन में एक सवाल उभरकर आता है कि आखिर राजा पाठक हैं कौन और इनकी उपलब्धि क्या हैं?

हम आपको बताते हैं, सैकड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत बन चुके राजा पाठक की पूरी कहानी।
राजा पाठक मूल रूप से बिहार के गोपालगंज जिले के सामान्य परिवार से ताल्लूक रखते हैं। पिता रामचन्द्र पाठक उस वक्त चल बसे जब राजा महज ढाई साल के थे। मां कलावती पाण्डेय ने ही चार भाई बहनों की पढ़ायी-लिखायी से लेकर सारी जिम्मेदारी उठायी। सबसे छोटे राजा को संस्कृत विद्यालय भेज दिया गया, क्योंकि वहां खाना मुफ्त था। घर से साल में एक हजार रुपये आते थे। राजा बताते हैं कि कक्षा पांच से 12वीं तक जब भी घर से पैसे आते, वो समझ जाते कि घर का कोई सामान बिक गया।
इंटर के बाद बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म संस्थान में दाखिला हुआ। 2014-15 में बीएचयू में टॉप किया और देश के 100 भाग्यशाली छात्रों में शामिल हुए। इसके पहले 2013 में उन्होंने नेट जेआरएफ भी क्वालिफाई कर लिया था। संस्कृत धर्म विद्या सस्थान के पो. गाइडेंस में शोधकार्य पूरा कर रहे हैं।
राजा पाठक सिर्फ न सिर्फ अपना कैरियर बन रहे बल्कि दूसरों का भविष्य भी संवार रहे हैं। राजा कहते हैं कि नेट जेआरएफ की तैयारी में उन्हें कहीं से मदद नहीं मिली। किसी तरह अपनी मेहनत से सफलता पायी तो अपे जैसे युवकों की मदद को खुद आगे आए।
बीएचयू परिसर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के पास पेड़ के नीचे चार-पांच छात्रों को नेट और जेआरएफ की मुफ्त कोचिंग देना शुरू किया। पांच साल में अब तक वह आठ सौ छात्रों को नेट जेआरएफ क्वालिफाई करने में मदद कर चुके हैं। बीते ऑल इंडिया इलिजिबिलिटी टेस्ट में उनके पढ़ाए हुए 160 में से 80 छात्र सफल हुए।
हाल ही में जर्मनी से लौटे राजा बताते हैं कि भरत में युवा शोध के लिये गाइड की सिफारिश करते हैं, जबकि विदेश में भारतीय संस्कृति व दर्शन आदि पर शोध के लिये खुला आमंत्रण है। कुल मिलाकर अब उनका मिशन है कि जिस परेशानी से उन्होंने अपनी मंजिल पायी है उससे किसी और को दोचार न होना पड़े।
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