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वाराणसी

वित्तविहीन शिक्षकों ने भरी हुंकार, भीख नहीं हक चाहिए, हासिल करने तक जारी रहेगा आंदोलन

प्रदेश व्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार, लखनऊ में चलता रहेगा धरना-प्रदर्शन।

वाराणसीSep 06, 2018 / 10:55 pm

Ajay Chaturvedi

मानदेय के लिए धरना देते वित्तविहीन शिक्षक (फाइल फोटो)

मानदेय के लिए धरना देते वित्तविहीन शिक्षक (फाइल फोटो)

वाराणसी. मानदेय के लिए तकरीबन साल भर से आंदोलनरत वित्त विहीन शिक्षकों ने अब सामूहिक रूप से प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके तहत सूबे की राजधानी में ही धरना-प्रदर्शन शुरू किया गया है। शिक्षकों ने हुंकार भरी है, भीख नहीं हक चाहिए। और हक के लिए अंतिम दम तक लड़ेंगे।
माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा की वाराणसी प्रभारी ऋतिका दुबे ने पत्रिका को बताया कि मानदेय के लिए माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों का चल रहा आंदोलन तीसरे दिन छह सितंबर को भी जारी रहा। अब महासभा ने निश्चय किया है कि मानदेय हासिल होने तक ईको गार्डेन लखनऊ में अनवरत 24 घंटे धरना जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि शासन-प्रशासन से हुई वार्ता के क्रम में आश्वस्त कराया गया है कि दो से तीन दिन में मुख्यमंत्री से वार्ता करा कर निर्णय लिया जाएगा।
ऐसे में महासभा ने भी तय कर लिया है कि हम लगातार आंदोलनरत रहेंगे। इसलिए धरने को सफल बनाने के लिए सात सितंबर शुक्रवार को लखनऊ खंड, आठ सितंबर शनिवार को बरेली मुरादाबाद खंड, नौ सितंबर रविवार को इलाहाबाद- झांसी खंड, 10 सितंबर सोमवार को कानपुर खंड, 11 सितंबर मंगलवार को गोरखपुर खंड, 12 सितंबर बुधवार को आगरा खंड, 13 सितंबर बृहस्पतिवार को वाराणसी खंड तथा 14 सितंबर शुक्रवार को मेरठ खंड के शिक्षक धऱना देंगे। इसमें विभिन्न जनपदों के शिक्षक व पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे।
बता दें कि वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षक साल भर से मानदेय के लिए संघर्षरत हैं। इसी के तहत उन्होंने पहले यूपी बोर्ड परीक्षा का बहिष्कार किया। फिर मूल्यांकन का बहिष्कार किया। बनारस में भिक्षाटन किया। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर भी धरना प्रदर्शन किया गया। यहां यह भी बता दें कि प्रदेश की सपा सरकार के कार्यकाल में भी उचित मानदेय के लिए आंदोलन किया था, उसके बाद उन्हें आंशिक मानदेय का भुगतान शुरू किया गया। लेकिन नई भाजपा सरकार ने उसे भी खत्म कर दिया जिसके बाद से शिक्षक आंदोलनरत है। अब उन्होंने निर्णायक जंग शुरू किया है। शिक्षकों के अनुसार वे अब आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। मानदेय हासिल करने तक आंदलोन जारी रहेगा।
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