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इस युवक की संगत में आने से बड़े-बड़े नशाखोरों ने नशे से किया तौबा

locationवाराणसीPublished: Jul 26, 2019 02:51:46 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-नशामुक्ति की प्रेरणा मिली गांधी, बुद्ध और स्वामी विवेकानंद से
-अकेले ही बनारस के घाटों से शुरू किया सफर
-बदनाम बस्ती तक को जोड़ा अपने अभियान से
– शहर से सटे गांव को लिया गोद और मासूमों को शिक्षित करने का उठाया बीड़ा
– एक छत के नीचे स्कूल, अनाथ आश्रम और वृद्धा आश्रम खोल कर मां को देंगे श्रद्धांजलि

नशे के खिलाफ अभियान

नशे के खिलाफ अभियान

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. भारत ही नहीं पूरी दुनिया के युवाओं में बढती नशे की लत ने सभी को चिंतित कर रखा है। नशे की लत नई पीढी को बर्बादी के रास्ते पर ले जा रही है। सराकरों की ओर से नशामुक्ति के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं पर वो नाकाफी हैं। शहरों में तमाम री हेबिलिटेशन सेंटर खुले हैं लेकिन वहां कोई जाए तब तो। लेकिन इन्हीं युवाओं में से एक युवा ने उठाया है बीड़, पूरे देश को नशामुक्त करने का। वाराणसी को अपना कर्म क्षेत्र बनाने वाला यह युवक धीरे-धीरे ही सही पर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढने लगा है। इतना ही नहीं इस युवा ने देश की भावी पीढी को साक्षर ही नहीं शिक्षित करने का लक्ष्य भी तय किया है। इन दोनों ही मुहिम के साथ सफर आगे बढ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के राज्यपाल रहे राम नाइक भी इस युवा के प्रयासों के मुरीद हो चुके हैं। पत्रिका ने इस युवा जो अनेक युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हो सकता है से की खास बातचीत, प्रस्तुत हैं संपादित अंश…
गोपीगंज भदोही में जन्मे सुमित कुमार सिंह बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर वह आए थे बनारस टेक्निकल एजूकेशन के लिए। कोचिंग ज्वाइन किया। लक्ष्य था जेईई मेन्स क्वालीफाई कर किसी आईआईटी, आईआईएम में दाखिला लेकर इंजीनियर बनना। लेकिन बनारस आने के बाद जब घाटों पर जाना शुरू किया। शहर के विभिन्न मोहल्लों में घूमना शुरू किया तो पाया कि यहां तो चारों तरफ नशे का धंधा खूब फल-फूल रहा है। हर दूसरा-तीसरार शख्स धुआं उड़ाते नजर आ रहा है। घाटों पर चीलम भरी जा रही है और लोग गांजे का दम लगा रहे है। शाम होते ही गलियां हों या चौराहे मैखाने में तब्दील से नजर आने लगे। यहीं उसने टेक्निकल एजूकेशन की सोच को दरकिनार किया और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से स्नातक फिर पत्रकारिता विभाग से मास कम्यूनिकेशन की डिग्री हासिल की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग सुमित
सुमित ने बताया कि पत्रकारिता की शिक्षा लेते वक्त ही गाधी, भगवान बुद्ध और स्वामी विवेकानंद को पढने का मौका मिला। इन सभी के व्यक्तित्व, कृतित्तव को जितना पढता गया उतना ही उसी में खोता गया। फिर तय किया कि कुछ अलग करना है, देश के इन महानायकों की सोच पर काम करके भारत को विश्व गुरु बनाना है। ऐसे समाज की स्थापना करनी है जहां का बच्चा-बच्चा शिक्षत हो, नशे का नामो निशान न हो।
राज्यपाल रामनाइक संग सुमित और उनकी टीम
इसी सोच के साथ चार साल पहले कुछ दो-तीन दोस्तों संग अपने अभियान में जुट गए। घाटों पर स्लोगन लिखना, नुक्कड़ नाटक करना शुरू किया तो लोग जुड़ते गए। कई संभ्रात परिवार के लोग मिले जो चेन स्मोकर थे, कुछ ड्रिंकर। इन सभी की पहले काउंसिलिंग की, नशे की लत छोड़ने को मोटिवेट किया। फिर री हेबिलिटेशन सेंटर ले गया। धीरे-धीरे सफलता मिलती गई। कारवां बनता गया और हम लक्ष्य की ओर आगे बढते गए।
गांधीवादी अन्ना संग सुमित और उनकी टीम
हालांकि सुमित को उनके कुछ साथी बीच में ही छोड़ कर अलग भी हो गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी मुहिम में जुटे रहे। वह बताते हैं कि अब तक 12-14 लोगों को नशे की लत से मुक्त करा चुके हैं। लेकिन ये अभी शुरूआत है। बताते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत सार्वजनिक स्थान पर स्मोकिंग है। सार्वजनिक स्थल पर सिगरेट पीने वाले खुद तो अपने जीवन को बर्बाद कर ही रहे हैं, साथ ही वो आसपास के उन लोगों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे जिनका इस नशीली चीजों से कोई सरोकार नहीं है। सार्वजनिक स्थल पर स्मोकिंग कानूनन अपराध है लेकिन इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई काम नहीं हो रहा। ऐसे में हम अपनी टीम के साथ स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जा कर लोगों को मोटिवेट करने में जुटे हैं।
शिवदासपुर गांव के बच्चे और महिलाएं
बताया कि महात्मा गांधी और बुद्ध को पढने के बाद उनके आदर्शों को आत्मसात करने की कोशिश है। इसी के तहत काशी विद्यापीठ ब्लॉक के शिवदासपुर गांव को चुना है। बताया कि लोग इस पूरे गांव को ही रेड लाइट एरिया मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कुछ 40-50 क्वार्टर हैं जिसे रेड लाइट एरिया कहा जा सकता है पूरा गांव रेड लाइट एरिया नहीं है। तो इस गांव को गोद लिया है। यहां के बच्चों को आरटीई के तहत स्कूलों में दाखिला दिलाने में जुटा हूं। अब तक 22 बच्चों को दाखिला मिल चुका है। इस बार भी 15-16 बच्चों का दाखिला दिलाने का प्रयास चल रहा है। इन बच्चों को शिक्षा दिलाने के साथ ही गांव के लोगों को हाइजिन के प्रति जागरूक करना, इसके लिए स्वच्छता अभियान चलाना, गांव में स्वास्थ्य कैंप लगाने का दौर जारी है। कोशिश यही है गांधी के सपने को साकार कर सकूं। यह एक छोटी पहल है पर अपनी सोच पर दृढ हूं, मित्रों और पिता जी का पूरा सहयोग है। छह महीना पहले तक मां की प्रेरणा भी मिलती रही। अब वो इस दुनिया में नहीं रहीं पर उनका आशीर्वाद मेरे साथ है।
नशे के खिलाफ अभियान
मां की प्रेरणा से ही अब एक परिसर में स्कूल, अनाथालय और वृद्धाश्रम खोलने का लक्ष्य है। सोच है कि एक परिसर में वृद्ध, बच्चे दोनों रहेंगे तो दोनों एक दूसरे का सहारा बन जाएंगे। एक वो जिसे माता-पिता के प्यार की दरकार है तो वहीं दूसरा जो बच्चों में अपना बचपन खोजने को लालाइत है। दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे तो दोनों की परवरिश अच्छी होगी। यह मेरी मां का सपना था उसे मैं जरूर पूरा करूंगा।
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