इस बीच मंच के सदस्य व वरिष्ठ गांधीवादी कार्यकर्ता रामधीरज भाई ने कहा कि पहले जिले में गांधी जी के शहादत दिवस पर निश्चित समय से सायरन बजते थे। सार्वजनिक स्थानों और कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित होते थे। लेकिन विगत कुछ समय से देखने मे आ रहा है कि ऐसा नही हो रहा है।
मंच कार्यकर्ता गांधीवादी जागृति राही ने कहा की ये दुःखद है कि सोशल मीडिया से लगायत सार्वजनिक मंचों से महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू और तमाम स्वतन्त्रता सेनानियों का अपमान करना अब आम होता जा रहा है। ये न केवल दुःखद है बल्कि निंदनीय है। धर्म संसद के नाम पर आयोजन करके घृणा और हिंसा की बात की जा रही है। ये सब अशोभनीय है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
साझा संस्कृति मंच की प्रमुख मांगें महात्मा गांधी का शहादत दिवस है 30 जनवरी। देश में यह दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। साझा संस्कृति मंच उस दिवस को समाज में सर्वधर्म समभाव, शांति और प्रेम के प्रसार के निमित्त मैदागिन स्थित टाउनहॉल परिसर में बा- बापू की प्रतिमा के समक्ष प्रार्थना सभा आयोजित करेगा। इस सम्बंध में हम साझा संस्कृति मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता अपेक्षा करते हैं कि...
1- शहीद दिवस को पूर्व की भांति 11 बजे देश की आजादी के संघर्ष में शामिल शहीदो के सम्मान में 2 मिनट के मौन स्मरण कराने के लिए पूर्व की परंपरा के अनुसार सायरन बजे।
2- जिले में बापू की स्मृति से जुड़े स्थानों से विकास के नाम पर छेड़छाड़ बंद हो और उन्हें धरोहर रूप में सहेजा जाए। 3- आज़ादी के आंदोलन से जुड़े स्थलों को धरोहर रूप में चिह्नित करके वहां से संबंधित घटना और जिले के सभी स्वतंत्रता सेनानीयो के उल्लेख के साथ सम्मानपूर्वक टाउन हॉल शहीद पार्क सिगरा, राजनारायण पार्क बेनियाबाग, भारत माता मंदिर जैसे स्थलों का चयन कर शिलापट्ट लगाया जाए।
4- आगामी विस चुनाव के मद्देनजर शांति और व्यवस्था के साथ बापू-नेहरू सहित आज़ादी के नायकों के प्रति सोशल मीडिया या अन्य सार्वजनिक मंचो पर अनर्गल और भद्दी टिप्पणी करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।
5- साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले व्यक्तियों, समूहों को चिह्नित करके उनपर भी तत्काल कार्रवाई की जाए। प्रतिनिधिमंडल में ये रहे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रुप से फादर आनंद, वल्लभाचार्य पांडेय, सतीश सिंह, डॉ अनूप श्रमिक, ऐड प्रेम प्रकाश, धनंजय त्रिपाठी, अरविंद कुशवाहा आदि शामिल रहे।