लोकसभा व छात्रसंघ चुनाव में कोई समानता नहीं है लेकिन राजनीतिक पार्टियों के छात्र संगठन के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होता है। युवाओं को अपने साथ जोडऩे में लगे राजनीतिक दलों का इन चुनाव से अपने पक्ष में माहौल बनाने का मौका मिलता है। जिस पार्टी की सरकार होती है उस दल का छात्र संगठन किसी भी हाल में छात्रसंघ पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। बीजेपी के एबीवीपी, सपा के छात्रसभा व कांग्रेस के राछास में मुख्य लड़ाई होती है। कांग्रेस की तरह राष्ट्रीय छात्र संगठन (राछास) की स्थिति कमजोर हो चुकी है इसके चलते मुख्य लड़ाई एबीवीपी व समाजवादी छात्रसभा के बीच होती है। पिछला साल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के लिए अच्छा नहीं था। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय व हरिश्चन्द्र डिग्री कालेज में विद्यार्थी परिषद् को आशा के अनुसार सफलता नहीं मिली थी।
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छात्रसंघ चुनाव में मिली जीत से लोकसभा में अपने पक्ष में बनायेंगे माहौल
बसपा का सीधा छात्र संगठन नहीं है। पिछले साल राछास व बसपा के नाम पर बने छात्र संगठनों ने समाजवादी छात्रसभा को समर्थन दिया था जिसका फायदा भी हुआ था। इस बार का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। जिस भी पार्टी के छात्र संगठन को जीत मिलती है इसको लेकर वह दल लोकसभा में अपने पक्ष में माहौल बनायेगी। एबीवीपी व सपा के छात्र संगठन के टिकट को लेकर सबसे अधिक मारामारी होती है अब देखना है कि लोकसभा के पहले किसी छात्र संगठन को जीत मिलती है।
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बसपा का सीधा छात्र संगठन नहीं है। पिछले साल राछास व बसपा के नाम पर बने छात्र संगठनों ने समाजवादी छात्रसभा को समर्थन दिया था जिसका फायदा भी हुआ था। इस बार का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। जिस भी पार्टी के छात्र संगठन को जीत मिलती है इसको लेकर वह दल लोकसभा में अपने पक्ष में माहौल बनायेगी। एबीवीपी व सपा के छात्र संगठन के टिकट को लेकर सबसे अधिक मारामारी होती है अब देखना है कि लोकसभा के पहले किसी छात्र संगठन को जीत मिलती है।
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पर्याप्त फोर्स मिलने पर ही कराये जायेंगे छात्रसंघ चुनाव
विश्वविद्यालयों व कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया चल रहा है। परिसर में संभावित प्रत्याशी जमकर चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय व कालेज प्रशासन जल्द से जल्द छात्रसंघ चुनाव करा कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है। छात्रसंघ चुनाव कराने से पहले पुलिस प्रशासन की अनुमति लेना जरूरी होता है। पुलिस प्रशासन से तभी अनुमति मिलती है जब पर्याप्त संख्या में फोर्स हो। सावन की भीड़ के चलते फोर्स की कमी है इसलिए सावन के बाद ही परिसरों में चुनाव होने की उम्मीद है।
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विश्वविद्यालयों व कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया चल रहा है। परिसर में संभावित प्रत्याशी जमकर चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय व कालेज प्रशासन जल्द से जल्द छात्रसंघ चुनाव करा कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है। छात्रसंघ चुनाव कराने से पहले पुलिस प्रशासन की अनुमति लेना जरूरी होता है। पुलिस प्रशासन से तभी अनुमति मिलती है जब पर्याप्त संख्या में फोर्स हो। सावन की भीड़ के चलते फोर्स की कमी है इसलिए सावन के बाद ही परिसरों में चुनाव होने की उम्मीद है।
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