काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद अब तूल पकड़ने लगा है। एक ओर जहां न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर परिसर के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है और वीडियोग्राफी कराने को कहा है। वहीं अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव परिसर में वीडियोग्राफी के विरुद्ध हैं। अब स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि सर्वे तो होना ही चाहिए। पहले भी हुआ है।
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर (फाइल फोटो)
वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में अब अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती भी कूद पड़े हैं। उन्होंने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव के बयान का जवाब देते हुए कहा है कि परिसर का सर्वेक्षण तो पहले भी हुआ है। ऐसे में कोर्ट के निर्देश का अक्षरशः पालन होना चाहिए। उन्होंने सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी के सिविल जज सिनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत के निर्णय का विरोध करने वाले को गिरफ्तार करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि ये सर्वेक्षण कैसे होगा यह देखना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
महिलाओं ने सुरक्षा की गुहार लगाई वहीं इस मामले में कोर्ट में पिछले साल याचिका दायर कर परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन की अनुमति मांगने वाली महिलाओं ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि जिस तरह से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव बयान दे रहे हैं उससे उनमें भय व्याप्त है। उन्होंने पुलिस कमिश्रनरेट को सुरक्षा संबंधी ज्ञापन भी सौंपा है।
10 थानों की पुलिस रखेगी सर्वे पर पैनी नजर उधर इस सर्वे के मद्देनजर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने 10 थानों की फोर्स और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को अतिरिक्त सतर्कता के साथ माहौल पर नजर रखने के लिए कह रखा है।
10 मई तक कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट अदालत में सौंपी जानी है बता दें कि वाराणसी के सिविल जज सिनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने तीन मई (ईद) के बाद और 10 मई के पहले काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित शृंगार गौरी मंदिर पर कमीशन की कार्रवाई और वीडियोग्राफी का आदेश दिया है। इसके तहत छह मई शुक्रवार को होना है सर्वे, वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी।
पहले भी हो चुका है सर्वेः स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद अब इस विवाद में संत समाज भी कूद पड़ा है। अखिल भारतीय संत समिति ने दावा किया कि सर्वे पहले भी हो चुका है। इस बार भी होकर रहेगा। कोर्ट के आदेश का पालन कराना जिला प्रशासन का दायित्व है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि जिला न्यायालय ने काशी विश्वनात मंदिर-ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी लिए टीम गठित की है। यह टीम 6 मई को विवादित परिसर में जाकर वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जो खारिज हो चुकी है।
1930 के दशक में तीन बार हुआ सर्वे स्वामी जितेंद्रानंद का कहना है कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से नाहक अड़ंगा डाला जा रहा है। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं कि मुस्लिम पक्ष एक तरफ तो कोर्ट में एक तरफ कहता हैं कि मस्जिद में किसी का प्रवेश इसलिए नहीं रोका जा सकता कि वो गैर मुस्लिम है, फिर वो ही कोर्ट के बाहर कहते हैं कि हम किसी को मस्जिद के अंदर घुसने नहीं देंगे। दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकती हैं। बताया कि 1935, 1936 और 1937 के मुकदमों में यहां सर्वे हो चुका है। दो-दो बार जिला जज ज्ञानवापी के अंदर जा चुके हैं।
ज्ञानवापी परिसर में जाने से क्यों रोक रहा मुस्लिम समाज स्वामी जितेंद्रानंद का सवाल है कि आखिर ऐसा क्या है जिसे लेकर मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए किसी को जाने पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है? ज्ञानवापी का सर्वे होना चाहिए और इसके लिए प्रशासन सुरक्षा मुहैया कराए। कोर्ट के आदेश का पालन कराना प्रशासन का दायितव है।
योगी आदित्यनाथ के शासन में हम सब सुरक्षित इस मामले में संत समाज की भूमिका के प्रश्न पर स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के शासन में हम सभी सुरक्षित हैं। प्रदेश में शांति बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि संतों की जिम्मेदारी किसी तरह की अपील करने की नहीं है, हमें अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेट्री सैयद मोहम्मद यासीन को आइना दिखाने के लिए आगे आना पड़ा है। यासीन ने कहा था कि पहले सर्वे नहीं हुआ है और हम ये होने भी नहीं देंगे। मुस्लिम पक्ष बताए कि सर्वे और मुकदमे से वे क्यों भाग रहे हैं?