स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया को बताया कि ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने बताया कि शंकराचार्य रविवार को प्रयागराज जाने के लिए सन्नद्ध थे। उनसे उनका स्वास्थ्य ठीक न होने का हवाला देकर यात्रा स्थगित करने या स्वरूप में बदलाव करने की प्रार्थना की जा रही थी पर वे तैयार नहीं हो रहे थे। आज सवेरे जब उनके प्रमुख शिष्य और सहयोगियों ने स्वामी सदानंद सरस्वती, ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद, डॉक्टर श्रीप्रकाश मिश्र आदि के साथ उन्हें टेलीविजन में पुलवामा घटना और उसके बाद देश की परिस्थितियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया, तब वे शांत हो गए और कुछ देर बाद वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने भी यही अनुरोध किया तो उन्होंने कहा कि हम देश के साथ हैं।
इससे पहले अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने पत्र लिखकर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टेलीफोन कर इसी आशय का अनुरोध किया था। इसके बाद शंकराचार्य ने कहा है कि हालांकि श्री राम जन्मभूमि के संदर्भ में हमने जो निर्णय लिया है वह सामयिक और आवश्यक भी है लेकिन देश में उत्पन्न हुई इस आकस्मिक परिस्थिति के आलोक में हम यात्रा को कुछ समय तक स्थगित करने का निर्णय ले रहे हैं।
बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अर्द्ध कुंभ के दौरान प्रयागराज में थे। वहीं उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। ऐसे में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद उन्हें लेकर काशी आए और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सरसुंदर लाल चिकित्सालय में भर्ती कराया। दो दिनों तक वह आईसीयू में थे। लेकिन शनिवार को वह खुद ही रामाग्रह यात्रा पर जाने के लिए अस्पताल से छुट्टी ले लिए और श्री विद्या मठ चले आए थे। वह रविवार को ही रामाग्रह यात्रा में सम्मिलित होने के लिए प्रयाग रवाना होने वाले थे।
लेकिन आज कश्मीर की आतंकवादी गतिविधियों से देश में युद्ध जैसा वातावरण बन गया है । आतंकवाद से पीड़ित हमारे सैनिकों के परिवार अत्यंत व्यथित हैं। भारत देश की रक्षा के लिए अपने प्राणोत्सर्ग करने वाले नौजवान सैनिकों को हम श्रद्धांजलि देते हैं। इस अवसर पर हम राष्ट्र को संदेश देते हैं कि यह समय एकजुट होकर आतंकवादियों और उनके पीछे खड़े लोगों के विरुद्ध अपनी दृढ़ता का परिचय देने का है। हमें यह संभावना दिखती है कि हमारे रामाग्रह यात्रा और शिलान्यास के कार्यक्रम से पूरे राष्ट्र का ध्यान भटक सकता है। हम नहीं चाहेंगे कि हमारा कोई भी कार्यक्रम राष्ट्र हित में व्यवधान डाले। हम सदा से देशवासियों की भावनाओं के साथ रहे हैं। अतः हम वर्तमान अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामाग्रह यात्रा और शिलान्यास का अपना कार्यक्रम कुछ समय के लिए स्थगित कर रहे हैं। अवसर के अनुकूल नया मुहूर्त निकाल कर हम इस कार्यक्रम को भविष्य में पूरा करना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे इस अभियान के लिए अपने घरों से निकल चुके हैं और प्रयाग आदि स्थानों पर पहुंच चुके हैं उनको हमारा निर्देश है कि वह संगम स्नान करके संभव हो तो अयोध्या में श्रीरामलला के दर्शन कर अपने अपने घरों को वापस चले जाएं। प्रयाग, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और अयोध्या के उन लोगों के लिए भी हम अपना आशीर्वाद कह रहे हैं जो उन स्थानों में हमारे सहित हजारों लोगों के रहने खाने और समाधि का प्रबंध किया था।
सुरक्षा में लगे लोगों, प्रशासन, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जो पत्रकार बंधु यात्रा को कवर करने के लिए प्रयाग पहुंचे थे और अन्य स्थानों से भी यात्रा को कवर कर रहे थे उन्हें हम आशीर्वाद प्रदान करते हैं और उनके सहयोग के लिए साधुवाद देते हुए भविष्य में भी सहयोग की अपेक्षा रखते हैं।
इससे पूर्व श्री विद्या मठ से रवरिवार की सुबह ही यह बताया गया था कि शंकराचार्य का कहना है कि रामाग्रह और शिलान्यास कार्यक्रम इसलिए भी आवश्यक है कि वर्तमान केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि अधिग्रहित भूमि में से विवादित भूमि उनके मूल मालिकों को वापस की जाए जिसमें मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हो सके। उच्चतम न्यायालय ने भी केंद्र सरकार की इस अर्जी को मूल वाद से जोड़ दिया है। इस कदम से उस भूमि के सदा सदा के लिए हिंदुओं के हाथ से निकल जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है, जहां रामलला विराजमान हैं और जिनके लिए शताब्दियों से हिंदुओं ने संघर्ष किया है और न्यायालय से भी जिसे राम जन्मभूमि घोषित किया जा चुका है। दूसरे श्रीराम को मनुष्य बुद्धि से देखकर उनका पुतला बनाने की जो योजना बनाई गई है वह भी और शास्त्रीय और सनातन धर्म और सनातन धर्मियों की भावना के विपरीत है। ऐसे में ज्योतिष पीठ और द्वारका शारदा पीठ के परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने संकल्प को आगे बढ़ाने का निश्चय किया है।
उन्होंने अपने शिष्य और सहयोगियों की इस प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया कि उनका स्वास्थ्य ठीक होने तक वह इस यात्रा को स्थगित करें । परम पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहां कि यह शरीर क्षणभंगुर है भगवान श्री राम के कार्य में इसका विनियोग हो जाए इससे बढ़कर के और क्या हो सकता है । जिस राम ने संकल्प कराया है वहीं उसका निर्वाह भी करेंगे ।