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बोले शंकराचार्य- हनुनाम आदि देव शंकर के अवतार हैं, भगवान को दलित कहना अपराध

locationवाराणसीPublished: Nov 28, 2018 05:20:59 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

बोले शंकराचार्य- हनुनाम आदि देव शंकर के अवतार हैं, भगवान को दलित कहना अपराध

 Swarupananda

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वाराणसी. सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा राम भक्त हनुमान को दलित कहने पर टिप्पणी करते हुए ज्योतिष एवं शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि हनुमान भगवान शंकर के अवतार हैं। भगवान श्री राम के कार्य के लिए उन्हें धरती पर आना पड़ा। फिर हिंदू धर्म में दलित शब्द है ही नहीं। इसकी कोई परिभाषा नहीं है। यह शब्द हम मानवों का गढ़ा हुआ है जिसका अर्थ होता है पीड़ित या सताया हुआ। उन्होंने सवाल किया कि आप ही बताएं कि हनुमान कब और कहां पीड़ित, शोषित दिखते है। जो भगवान के कार्य के लिए धरती पर आया हो। जिसके नेतृत्व में पूरी वानरी सेना ने रावण की सेना को पराजित किया हो वह दलित कैसे हो सकता है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि इनके पास कोई काम है नहीं, ये कोई काम करना नहीं चाहते ऐसे में लोगों को भ्रमित करने के लिए इसी तरह का अनाप-शनाम बयान देते रहते हैं। कहा कि प्रभु हनुमान को दलित कहना अपराध है। मुख्यमंत्री का यह बयान हम जैसे धर्म परायण लोगों के लिए दुःखद है। मैं इससे पीड़ित हूं।
सरकार डिक्टेर बनती जा रही
शंकराचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की प्रतिनिधि होती है। जनता की मांग को पूरा करना सरकार का दायित्व है। लेकिन ये सरकार जनप्रतिनिधि की भूमिका नहीं निभा रही है। यह डिक्टेर बनती जा रही है। उसे जनता की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं। उन्होंने सवाल किया कि क्या जनता ने नोटबंदी मांगा था, लेकिन नोटबंदी लागू हुई। कहा कि 3000 करोड़ रुपये खर्च कर गुजरात में सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनी क्या उतने पैसे से अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन सकता था। अब वहीं अयोध्या में होने जा रहा है, मंदिर के पैसे का उपयोग सरयू किनारे राम का पुतला बनाने पर खर्च कर देंगे।
जनता परेशान, सरकार का ध्यान नहीं
उन्होंने कहा जनाकांक्षा को पूरा करने पर इस सरकार का ध्यान नहीं। पूरा देश महंगाई से परेशान है। किसान परेशान हैं। कश्मीर में सैनिक मारे जा रहे है। लेकिन इस तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं। उन्होंने परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार का कोई प्रतिनिधि कैसे अपनी ही करेंसी को कागज का टुकड़ा कह सकता है। उन्होंने सरकार को जनतांत्रिक तरीके से जनहित में जनता की भावनाओं और उसकी मांग के अनुरूप काम करने की सलाह भी दी।
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