वाराणसी

UP BOARD-कैसे मिलें टॉपर जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं

जिले के 106 अनुदानित माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के 700 पद हैं रिक्त शिक्षक न होने से अध्ययन अध्यापन हो रहा प्रभावित रिटायर शिक्षक का पूल बना था वो भी कारगर नहीं
 

वाराणसीAug 25, 2019 / 12:09 pm

Ajay Chaturvedi

UP Board school teacher

वाराणसी. यूपी बोर्ड का रिजल्ट निकलते ही नुक्ताचीनी शुरू हो जाती है। पिछले कई सालों से यह सवाल उठ रहा है कि बनारस के बच्चे टॉपर्स की लिस्ट में क्यों नहीं शामिल हो रहे। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है इसकी तरफ न शासन का ध्यान है न विभागीय उच्चाधिकारियों का। हाल यह है कि वर्षों से शिक्षकों के पद रिक्त हैं, नई नियुक्तियां हो नहीं रहीं। ऐसे में पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों और प्रधानाचार्यों का कहना है कि जब कक्षाएं ही नहीं चलेंगी तो कहां से छात्र टॉपर्स की लिस्ट में आएंगे।

बता दें कि बनारस में कुल 106 अनुदानित विद्यालय हैं। इसमें शिक्षकों के 700 पद रिक्त हैं। अब इन रिक्त पदों के सापेक्ष नई भर्तियां भी नहीं हो रही हैं। पिछले साल से ही शासन ने एक व्यवस्था दी कि सेवानिवृत्त शिक्षकों से पढवाया जाए। लेकिन उसमें जो योग्य सेवानिवृत्त शिक्षक हैं वो दोबारा घर से दूर छोटे मानदेय पर काम नहीं करना चाहते। ऐसे में वो योजना भी परवान नहीं चढ पा रही है।
हालांकि विभाग ने बड़ी मसक्कत के बाद कुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों का पूल बनाया है लेकिन उसका भी लाभ विद्यालयों को नहीं मिल पा रहा। दरअसल शिक्षा निदेशालय और शासन की ओर से इस पूल के शिक्षकों से पढवाने का आदेश ही नहीं मिला है अब तक जबकि अप्रैल से शुरू हुए सत्र के चार महीने बीत चुके हैं। अब अगले महीने में दशहरा फिर दीपावली का अवकाश हो जाएगा। नवंबर से प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी शुरू हो जाएगी।
शिक्षक बताते हैं कि सर्वाधिक दिक्कत विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों को लेकर है जिसके लिए शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। हालांकि कुछ विद्यालयों में प्रबंधतंत्र ने स्ववित्त पोषित अंदाज में कुछ टीचरों की नियुक्ति की है, लेकिन वहां भी दो-चार हजार रुपये में योग्य शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में पढाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।
वैसे प्रधानाध्यापकों ने जुलाई में ही शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया था, तब विभागीय अफसरों ने जिला विद्यालय निरीक्षक से पुनः सेवानिवृत्त शिक्षकों का पूल तैयार करने को कहा था। शुरूआत में तो इस तरफ सेवानिवृत्त शिक्षकों का रुझान नहीं दिखा। लेकिन काफी प्रयास के बाद 87 सेवानिवृत्त शिक्षकों का पूल बन गया है। अब दिक्कत यह कि शिक्षकों पदों की रिक्ति है 700 जिसके सापेक्ष 87 का पूल बना है और मजेदार यह कि उसके लिए भी शासन से अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में कैसे हो पढाई।
इस मुद्दे पर जब पत्रिका ने उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य संघ के प्रांतीय संयोजक व सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज के प्रधाचार्य डॉ विश्वनाथ दुबे से बात की तो उनका कहना था कि, केवल बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। वो भी पढाई से इतर। ऐसे में गुणवत्ता कहां से आए। फंड है नहीं, अतिरिक्त शुल्क ले नहीं सकते। शासन कुछ देगा नहीं। हाल यह है कि विद्यालयो में न शिक्षक हैं, न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। इस पर भी प्राइवेट सेक्टर से संघर्ष अलग से। कहां से प्राइवेट सेक्टर से लड़ाई होगी। पहले कम से कम योग्य शिक्षक तो मुहैया कराएं ताकि पठन-पाठन तो सुचारू रूप से संचालित हो सके।
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