Three Arrested for Selling Vehicles in Bihar On Basis of Fake Document- पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़ा है, जो मध्य प्रदेश से वाहनों को चुराकर बिहार में बेचते थे और वाराणसी के परिवहन कार्यालय में इसके फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे। दस्तावेज भी ऐसे कि कोई फर्जी न साबित कर पाए। मामले में पुलिस ने गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है जबकि मुख्य आरोपी सहित दो फरार हैं।
Three Arrested for Selling Vehicles in Bihar On Basis of Fake Document
वाराणसी. Three Arrested for Selling Vehicles in Bihar On Basis of Fake Document. चंदौली जिले में पुलिस ने एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़ा है, जो मध्य प्रदेश से वाहनों को चुराकर बिहार में बेचते थे और वाराणसी के परिवहन कार्यालय में इसके फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे। दस्तावेज भी ऐसे कि कोई फर्जी न साबित कर पाए। मामले में पुलिस ने गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है जबकि मुख्य आरोपी सहित दो फरार हैं। यह गैंग तीन वर्षों से सक्रिय है। तीनों आरोपियों की निशानदेही पर नौ वाहन बरामद हुए हैं। इन वाहनों पर वाराणसी यूपी 65 नंबर और यूपी 78 नंबर प्लेट लगे हैं। इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी है, ताकि वाराणसी परिवहन विभाग के जो लोग इसमें शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके।
घेराबंदी कर तीन को दबोचा पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल को मध्य प्रदेश पुलिस से कुछ इनपुट मिले थे जिसमें मध्यप्रदेश से चुराए गए वाहनों को वाराणसी चंदौली होते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार कर बिहार में बेचा जाता है। इस सूचना के आधार पर एसपी अंकुर अग्रवाल ने स्वाट टीम, सर्विलांस टीम और सदर कोतवाली पुलिस को मामले के खुलासे के लिए लगाया। मुखबिर से सूचना मिली कि गैंग के तीन सदस्य कटसीला गांव के पास रिलायंस पेट्रोल पंप के समीप नेशनल हाईवे दो पर खड़े हैं जो पुराने वाहनों को बिहार में बेचने की फिराक में हैं। टीम ने घेराबंदी करते हुए आरोपियों मिथिलेश कुमार शिवाजी और पालचंद नियोगी को गिरफ्तार कर लिया। मामले में गैंग का सरगना कमल सिंह जो कि बनखेड़ी उदयपुरा जिला रायसेन मध्य प्रदेश का निवासी है और धीरज चौबे जो कि हाजीपुर थाना चोलापुर वाराणसी का निवासी है फरार हैं।
वेबसाइट में खामियों का उठाया फायदा पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल के अनुसार, मिथिलेश कुमार वाराणसी में परिवहन कार्यालय में प्राइवेट डाटा ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। गैंग का सरगना कमल सिंह और धीरज चौबे मध्य प्रदेश से वाहनों को चुरा कर लाते थे। परिवहन विभाग की वेबसाइट में कुछ खामियां हैं जिनका फायदा उठाकर मिथिलेश कुमार चोरी की गाड़ियों के ऐसे फर्जी दस्तावेज बनाता था कि कोई गलत न साबित कर पाए। इन्हीं दस्तावेज के आधार पर इन गाड़ियों को सेकंड हैंड कार शोरूम, ओएलएक्स के साथ ही अन्य लोगों को बेच दिया जाता था।
स्विफ्ट और स्कॉर्पियो बरामद पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर आठ स्विफ्ट कार और एक स्कॉर्पियो गाड़ी बरामद हुई हैं। कुल नौ गाड़ियां पकड़ी गई हैं। आठ गाड़ियों पर वाराणसी यूपी 65 नंबर दर्ज है, जबकि दो गाड़ियों में यूपी 78 नंबर प्लेट दर्ज है। गाड़ियों की चेचिस नम्बर मिलान किया गया तो एक गाड़ी थाना सिवनी मालवा मध्य प्रदेश, दूसरी गाड़ी खातेगांव मध्य प्रदेश, तीसरी गाड़ी थाना पिपरिया रोड मध्य प्रदेश, चौथी गाड़ी थाना देहात होशंगाबाद मध्य प्रदेश, पांचवी कार विनोद मरावी मध्य प्रदेश, छठी गंज बदौसा मध्य प्रदेश, सातवी कार नागझिरी उज्जैन मध्य प्रदेश, आठवीं कार खातेगांव देवास मध्य प्रदेश के रूप में पहचानी गईं। तीनों अभियुक्तों के पास से 19 आधार कार्ड, 06 आधार कार्ड की फोटो कॉपी, एक आधार कार्ड ब्लैक प्रोफार्मा, एक मॉनिटर, दो लैपटॉप, एक प्रिंटर, एक बायोमेट्रिक मशीन, तीन एटीएम कार्ड, 1200 रुपए नगद और चार मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।