प्रयागराज से काशी के बीच तीन हिस्से में हुआ वरुणा नदी का अध्ययन डॉ लियोर ने बताया है कि प्रयागराज से काशी तक तीन हिस्सों में वरुणा नदी का अध्ययन कर लिया गया है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी वाराणसी में वरुणा के प्रवेश के साथ ही प्रदूषण ज्यादा है। बताया कि उन्होंने प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगा लिया है। अब इसे इजराइली तकनीक से पूर्व की भांति प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। हालांकि इसके तहत ये जरूरी है कि हम सब जितना जल प्रयोग कर रहे हैं उतना धरती को वापस भी करें। इसके लिए इजराइली तकनीक ज्यादा कारगर होगी। बताया कि प्रयाग से काशी तक वरुणा नदी के अध्ययन के आधार पर एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी जिसे इजराइल और भारत सरकार को भेजा जाएगा। दोनों सरकारों की मंजूरी के बाद कार्ययोजना पर काम शुरू होगा।
केंद्र और राज्य स्तरीय एजेंसियों के सहयोग से पूरा होगा काम उन्होंने मीडिया को बताया कि केंद्र और राज्य एजेंसियों के सहयोग से वरुणा नदी को प्रदूषण मुक्त कर उसके जल को उपयोग खास तौर पर कृषि कार्य के लिए बना दिया जाएगा। लेकिन ये तभी संभव होगा जब पूरी वरुणा नदी को प्रदूषण मुक्त किया जाए। ऐसा होने के बाद वरुणा के जल को कृषि कार्य के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा। बताया कि नदी को प्रदूषण मुक्त करने के साथ ही प्रयागराज से काशी तक चार स्थान पर इस पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। डॉ लियोर ने वादा किया कि वरुणा को दुनिया के समक्ष मॉडल के रूप में प्रस्तुत करेंगे।
वरुणा नदी प्रदूषण का अध्ययन करने वाली टीम में ये रहे शामिल वरुणा नदी प्रदूषण का अध्ययन करने वाली टीम में डॉ लियोर के अलावा इजराइली दूतावास के वरिष्ठ जल संसाधन विशेषज्ञ नीरज गहलावत राज्य स्वच्छ गंगा मिशन इकाई के प्रमुख मिथिलेश कुमार मिश्र आदि प्रमुख रहे। अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने बीएचयू के पर्यावरणविद् डॉ कृपा राम, भूगर्भ विज्ञानी प्रो एनवी चलापति राव से भी बातचीत कर महत्वपूर्ण जानाकारी हासिल की।