वाराणसी

BHU में नेम गेम, ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल पर नहीं है पूरी सूचना

ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल bhuonline.in पर जारी सूचना बुलेटिन से दो वीसी का नाम गायब।

वाराणसीMar 14, 2019 / 12:52 pm

Ajay Chaturvedi

bhu

वाराणसी. हमेशा चर्चा में रहने वाला बनारस हिंदू विश्वविद्यालय फिर से सुर्खियों में है। आलम यह कि विश्वविद्यालय प्रशासन भावी विद्यार्थियों से महत्वपूर्ण सूचना भी शेयर करने से कतरा रहा है। इसे मानवीय भूल कहा जाए या साजिश पर इस पर कोई कुछ नहीं बोल रहा। सभी ने चुप्पी साध ली है।
बता दें कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का भावी छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल bhuonline.in है। इस पर विश्वविद्यालय से जुड़ी सारी सूचनाएं अपलोड की गई हैं। सोच है कि यहां जो भी दाखिला लेने आए उसे विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत का पूरा ज्ञान हो ताकि वह खुद को यहां के अनुसार खुद को ढाल सके। दाखिला लेने से पहले अपना माइंड सेट कर ले।
इस सूचना में स्थापना काल से अब तक के सभी कुलपतियों के नाम की लिस्ट भी है। इसमें कार्यवाहक कुलपतियों के नाम भी हैं। लेकिन दो कार्यवाहक कुलपतियों के नाम गायब है। अब चर्चा ये है कि आखिर क्या वजह हो सकती है कि इन दो कार्यवाहक कुलपतियों के नाम लिस्ट से गायब कर दिए गए हैं। लोग कह रहे हैं कि यह मानवीय त्रुटि भी हो सकती है और गहरी साजिश भी। कुछ भी हो पर यह मिस्टेक लोगों को विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान तो खड़ा करती ही है।
इस सूचना बुलेटिन के पेज नंबर नौ पर ऑवर वाइसचांसलर्स नाम के सबहेड के साथ सभी कुलपतियों की सूची संलग्न है। इसमें सभी कुलपतियों के नाम हैं। पर बतौर कार्यवाहक कुलपति काम करने वाले प्रो विनय कुमार सिंह और प्रो राजीव संगल का नाम नहीं है जबकि कार्यवाहक कुलपति के रूप में काम करने वाले डॉ नीरज त्रिपाठी का नाम अंकित है। बता दें कि डॉ लालजी सिंह का कार्यकाल पूरा होने के बाद तत्कालीन कुलसचिव प्रो विनय कुमार सिंह को विश्वविद्यालय का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया था। उसके बाद आईआईटी बीएचयू के तत्कालीन निदेशक प्रो राजीव संगल को बीएचयू के कुलपति पद का अतिरिक्त प्रभार मिला था। लेकिन इन दोनों ही कार्यवाहक कुलपतियों का नाम विश्वविद्यालय के उस ऑनलाइन एडमिशन पोर्टल पर नहीं है। लेकिन प्रो जीसी त्रिपाठी को फोर्स लीव पर भेजे जाने और उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद कार्यवाहक कुलपति का दायित्व संभालने वाले कुलसचिव डॉ नीरज त्रिपाठी का नाम है। यहां यह भी बता दें कि डॉ लालजी सिंह का कार्यकाल पूरा होने के बाद चार महीने तक बतौर कुलपति किसी का नाम नहीं है।
कोट

कार्यवाहक कुलपति का नाम सूची में हो यह कोई प्रोटोकाल नहीं है। कोई जरूरी नहीं कि सभी कार्यवाहक का नाम शामिल किया जाय। हां! स्थाई कुलपति का नाम जरूर रहना चाहिए। -डॉ राजेश सिंह, पीआरओ

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