केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले दो दिवसीय दौरे पर रविवार को बनारस पहुंचे थे। उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में कहा कि मायावती केवल चुनावी राजनीति करती हैं। उन्होंने दलितों के हित में कभी कोई आंदोलन नहीं किया। यहां तक कि जब कानपुर में बाबा साहेब का अपमान हुआ था तब भी उन्होंने को कुछ नहीं किया। कहा कि उस वक्त भी मैं ही आया था यूपी और कानपुर से बड़ा आंदोलन किया था। आठवले ने कहा कि यूपी में अब ज्यादा दिनों तक मायावती की राजनीति नहीं चलने वाली।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से बसपा को ही फायदा हुआ फिर भी मायवती ने उल्टा सपा पर ही आरोप लगा दिया। आरोप तो सपा को लगाना चाहिए था कि बसपा के वोट उसे नहीं मिले। केंद्रीय मंत्री ने कहा मायावती हमेशा से अवसरवादी राजनीति करती रही हैं। कभी वह भाजपा से मिल कर सरकार बनाती हैं तो कभी मुलायम सिंह के साथ। लेकिन अब उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
आरपीआई नेता ने कहा कि उनकी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ सकती है। इस पर विचार हो रहा है। अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को तय करना है कि यूपी में भाजपा और आरपीआई का गठबंधन कैसे होगा।
मंदी पर पूछे गए सवाल के जवाब में आठवले ने कहा कि ऐसा नहीं कि केवल पांच साल की मोदी सरकार इसके लिए जिम्मेदार है, इससे पहले की सरकारों ने जो किया वह भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। कहा कि पीएम मोदी ने जो नोटबंदी किया वह देश से काला धन समाप्त करने के लिए था, उसका कुछ असर पड़ा है लेकिन केंद्र सरकार इस मंदी से मुक्ति के सारे प्रयास कर रही है।
पीओके पर कहा कि पाकिस्तान को खुद ही पहल कर पीओके भारत के हवाले कर देना चाहिए। पीओके पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं। कहा कि हालात चाहे जो हों पर हमारे यानी भारत के सामने पाकिस्तान ज्यादा गड़बड़ी करने की हिम्मत नहीं कर सकता। कहा कि पाकिस्तान बार-बार घुसपैठ कर रहा है लेकिन यदि भारत एक बार घुस गया तो पाकिस्तान नहीं बचेगा। भारत पूरे पाकिस्तान को बाहर लेकर निकलेगा।
हाउड़ी मोदी सम्मेलन के बाबत कहा कि इससे मोदी को 80 तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 20 फीसद फायदा होगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कहा कि उत्तर प्रदेश के दो हिस्से होने चाहिए। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, अमित शाह से मांग करेगी। यूपी की राजधानी लखनऊ तो पूर्वांचल की राजधानी बनारस को बनना चाहिए।
महाराष्ट्र चुनाव में आरपीआई को 10 सीटें मिलेंगी। 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में आरपीआई भाजपा के साथ चुनाव लड़ने का मन बना रही है।