रोजाना दो टन पॉलीथिन होता है इकट्ठा नगर आयुक्त गौरांग राठी के अनुसार पीपीई मॉडल पर केजीएन व यूएनडीपी काम कर रही है। 10 मीट्रिक टन का प्लांट पहले ही आशापुर इलाके में लगा है। इसमें काम करने वाली कंपनी के निदेशक साबिर अली ने कहा कि एक किलो पॉलीथिन के बदले छह रूपये दिए जाते हैं जो आठ से 10 रुपये किलो बिकता है। शहर से रोजाना करीब दो टन पॉलीथिन कचरा एकत्र होता है। 25 रुपया किलो इस्तेमाल की हुई पीने के पानी की बोतल भी खरीदी जाती है। इसे प्रोसेस किया जाता है, जिसके बाद इसे 32-35 रुपये में बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि कचरे में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक बाल्टी, डिब्बे, मग आदि 10 रुपये किलो खरीदा जाता है। इसके अलावा कार्डबोर्ड आदि रीसाइकिल होने वाला कचरा भी बैंक लेता है। बैंक में जमा प्लास्टिक को आशापुर स्थित प्लांट में जमा किया जाता है।
रीसाइकिल के लिए भेजते हैं कचरा प्लास्टिक के कचरे को प्रेशर मशीने से दबाया जाता है। प्लास्टिक को अलग किया जाता जिनमे पानी की बोतल को हाइड्रोलिक बैलिंग मशीन से दबाकर बण्डल बनाकर आगे के प्रोसेस के लिए भेजा जाता है। इसे कानपुर समेत दूसरी जगहों पर भेजा जाता है जहां मशीन द्वारा प्लास्टिक के कचरे से प्लास्टिक की पाइप, पॉलिस्टर के धागे, जूते के फीते और अन्य सामग्री बनाई जानी होती है। नगर निगम की इस पहल में प्लास्टिक के कचरे को निस्तारण के लिए इस बैंक का निर्माण हुआ है।