विश्वविद्यालय के लोग गांवों में जाएं और महिलाओं-बच्चों से संवाद करें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शुक्रवार को डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र के राष्ट्रव्यापी शुभारंभ के मौके पर उपस्थित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वरिष्ठ शिक्षाविदों तथा शिक्षक समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए राज्यापल ने ये स्पष्ट संदेश दिया। उनहोंने कहा कि पिछड़े-वंचित तथा विकास की दौर में पीछे छूट गए वर्गों को शिक्षित करने, उनके सशक्तिकरण तथा कल्याण में विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों की प्रमुख भूमिका है. उन्होंने शिक्षकों, शोधार्थियों तथा छात्रों का आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालयों के परिसरों से बाहर निकल कर गांवों तथा पिछड़े क्षेत्रों में जाएं। वहां निर्धनों, महिलाओं व बच्चों से संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं को समझें और उन समस्याओं के निराकरण के तरीके सुझाएं।
अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय यूपी की तरह आगे आएं उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय व कॉलेज गांवों व आंगबाड़ियों को गोद लेकर उनके विकास में योगदान दे रहे हैं, उसी प्रकार देश के अन्य हिस्सों में भी विश्वविद्यालयों व संस्थानों को प्रयास करने चाहिए। ऐसा करने से हम उन लोगों के जीवन में वास्तविक सकारात्मक बदलाव को अनुभव कर सकेंगे, जो आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी एक बेहतर ज़िंदगी तथा बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्षरत हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह सामाजिक रूप से पिछड़ों के उत्थान की योजना का ख़ाका खींचती है। बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना इसी का उदाहरण है। जब बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करेंगे, तो वे और प्रभावी ढंग से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप वे प्रगति की ओर अग्रसर होंगे, जो अंततः समाज व राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
राज्यपाल और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री ने डॉ अम्बेडकर उत्कृष्ठता केंद्र का किया उद्घाटन इस मौके पर राज्यपाल और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री, भारत सरकार, डॉ. विरेंद्र कुमार ने डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र का देशव्यापी शुभारंभ किया। ये केन्द्र 31 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में स्थापित किये जा रहे हैं और इनमें अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक केन्द्र को सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय, डॉ अंबेडकर प्रतिष्ठान के माध्यम से हर वर्ष 75 लाख रुपये की धनराशि मुहैया कराएगा।
डॉ अंबेडकर प्रतिष्ठान औ 31 विश्वविद्यालयों के बीच हुआ करार इस मौके पर डॉ अंबेडकर प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच डॉ अंबेडकर उत्कृष्टता केन्द्र तथा डॉ अंबेडकर पीठ योजनाओं को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर व आदान प्रदान हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से कुलसचिव प्रो. ए. के. सिंह ने सहमति पत्र का आदान प्रदान किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, से कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित ने सहमति पत्र के आदान प्रदान के लिए उपस्थित रहीं। इस अवसर पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से डॉ. नीतू जैन तथा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से डॉ. संजय कुमार ध्यानी ने अपने विश्वविद्यालयों में इस योजना की भावी रूपरेखा पर प्रस्तुतियां दीं।
डॉ अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र व डॉ अंबेडकर पीठ सामाजिक न्याय व समानता के लक्ष्य को महत्वपूर्ण केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री डॉ. विरेन्द्र कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के परिणामस्वरूप देश में पिछड़ों व वंचितों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र तथा डॉ अंबेडकर पीठ योजनाएं सामाजिक न्याय व समानता के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि ये योजनाएँ सिर्फ़ अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को ही सशक्त नहीं करेंगी, बल्कि उनके परिवारों और अंततः समाज व देश के विकास का भी मार्ग प्रशस्त करेंगी।
वंचित व पिछड़े वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों के उत्थान व कल्याण का दिलाया संकल्प उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षाविदों का आह्वान किया कि वे अपने संस्थानों में वंचित व पिछड़े वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों के उत्थान व कल्याण के लिए काम करने का संकल्प लेकर जाएं। उन्होंने अनुसूचित जाति व पिछड़े तथा वंचित वर्गों के लिए अपने मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया और कहा कि ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शिता तथा कुशल नेतृत्व ही है, जिसके परिणामस्वरूप आज पिछड़े वर्गों के कल्याण की दिशा में प्रभावी कार्य हो रहा है, तथा उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
देश को प्रगति व प्रसिद्धि के नए शिखर पर पहुंचाने को जी जान से जुटें शिक्षाविद् केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, प्रतिमा भौमिक ने शिक्षाविदों के अपील की कि वे देश को प्रगति व प्रसिद्धि के नए शिखर पर पहुंचाने के लिए जी जान से काम करें, क्योंकि वे एक बहुत महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी का निर्वाहन कर रहे हैं और वह है विद्यार्थियों को शिक्षित करना व देश के भविष्य की नींव रखना।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हम महामना के महान विचारों की झलक देखते हैं: कुलपति प्रो जैन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने इन योजनाओं के शुभारंभ के लिए बीएचयू का चयन करने के लिए भारत सरकार तथा सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय का धन्यवाद जताया। उन्होंने कहा कि भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित सर्वविद्या की राजधानी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अत्यंत ही समावेशी संस्थान है। ऐसे में इन योजनाओं का यहां से शुभारंभ होना इस अवसर को और भी ख़ास बना देता है। उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए सभी कुलपतियों तथा शिक्षाविदों को बीएचयू को एक वृहद् दृष्टिकोण से देखने व घूमने का आह्वान किया कि कैसे यह संस्थान विविध पाठ्यक्रमों में शिक्षा देकर दशकों से राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगा है। उन्होंने कहा कि एक शताब्दी से भी अधिक समय पूर्व महामना ने बीएचयू को स्थापित किया था और आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हम महामना के महान विचारों की झलक देखते हैं।
इस मौके पर ये रहे मौजूद इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, नारायणस्वामी, विशिष्ट अतिथि जाने माने एजुकेटर तथा सुपर 30 समूह के संस्थापक आनंद कुमार, सचिव, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, आर. सुब्रमण्यम की उपस्थिति खास रही। प्रो. संगीता पंडित ने कार्यक्रम का संचालन किया। निदेशक, डॉ. अंबेडकर प्रतिष्ठान विकास त्रिवेदी ने आभा जताया।