बचपन से होती है आवाज और अभिनय की चर्चा
मोदी बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे। आज भी मोदी के स्कूल में उनके आवाज और अभिनय की चर्चा की जाती है । मोदी शेरो- शायरी के लिए जाने जाते थे। मोदी को साइंस और इतिहास काफी पसंद थे। पढ़ाई में अच्छा होने के साथ- साथ मोदी एक अच्छे तैराक थे। नरेन्द्र मोदी को बचपन में नरिया कहकर बुलाया जाता था ।
मोदी बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे। आज भी मोदी के स्कूल में उनके आवाज और अभिनय की चर्चा की जाती है । मोदी शेरो- शायरी के लिए जाने जाते थे। मोदी को साइंस और इतिहास काफी पसंद थे। पढ़ाई में अच्छा होने के साथ- साथ मोदी एक अच्छे तैराक थे। नरेन्द्र मोदी को बचपन में नरिया कहकर बुलाया जाता था ।
मगरमच्छ के बच्चे को उठाकर घर लाए थे पीएम मोदी मोदी अपने तैराकी के दौरान एक बार मोदी का सामना मगरमच्छ से हो गया था कि वह मगरमच्छ के बच्चे को उठाकर अपने घर ले आये थे बाद में मां के कहने पर मगरमच्छ को वापस तालाब में छोड़ा था।
बचपन में सन्यासी बनना चाहते थे पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। ये 6 भाई-बहनों के परिवार में इनका बचपन गुजरा। मोदी बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे। गुजरात के बडनगर में पैदा हुए मोदी को बचपन से ही साधु और संन्यास बहुत भाता था और वह एक बार घर छोड़कर चले गये थे। उस समय यह महज 17 साल के थे। जब ये घर छोड़कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा की ओर निकल गये थे।
पीएम नरेंद्र मोदी का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। ये 6 भाई-बहनों के परिवार में इनका बचपन गुजरा। मोदी बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे। गुजरात के बडनगर में पैदा हुए मोदी को बचपन से ही साधु और संन्यास बहुत भाता था और वह एक बार घर छोड़कर चले गये थे। उस समय यह महज 17 साल के थे। जब ये घर छोड़कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा की ओर निकल गये थे।
रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे पीएम मोदी
पीएम मोदी का जीवन 6 भाई-बहनों के परिवार में गुजरा। मोदी बचपन में चाय भी बेचा करता था। बडनगर रेलवे स्टेशन पर मोदी के पिता की चाय की दुकान थी। मोदी स्कूल से आने के बाद चाय की दुकान संभालते थे।
पीएम मोदी का जीवन 6 भाई-बहनों के परिवार में गुजरा। मोदी बचपन में चाय भी बेचा करता था। बडनगर रेलवे स्टेशन पर मोदी के पिता की चाय की दुकान थी। मोदी स्कूल से आने के बाद चाय की दुकान संभालते थे।
अभिनय और आवाज से प्रभावित थे सहपाठी
बडनगर में मोदी की शुरूआती पढ़ाई लिखाई हुई। मोदी बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे। आज भी मोदी के स्कूल में उनके आवाज और अभिनय की चर्चा की जाती है । मोदी शेरो- शायरी के लिए जाने जाते थे। मोदी को साइंस और इतिहास काफी पसंद थे। पढ़ाई में अच्छा होने के साथ- साथ मोदी एक अच्छे तैराक थे। कहा जाता है कि अपने तैराकी के दौरान एक बार मोदी का सामना मगरमच्छ से हो गया था कि वह मगरमच्छ के बच्चे को उठाकर अपने घर ले आये थे, बाद में मां के कहने पर मगरमच्छ को वापस तालाब में छोड़ा था।
बडनगर में मोदी की शुरूआती पढ़ाई लिखाई हुई। मोदी बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे। आज भी मोदी के स्कूल में उनके आवाज और अभिनय की चर्चा की जाती है । मोदी शेरो- शायरी के लिए जाने जाते थे। मोदी को साइंस और इतिहास काफी पसंद थे। पढ़ाई में अच्छा होने के साथ- साथ मोदी एक अच्छे तैराक थे। कहा जाता है कि अपने तैराकी के दौरान एक बार मोदी का सामना मगरमच्छ से हो गया था कि वह मगरमच्छ के बच्चे को उठाकर अपने घर ले आये थे, बाद में मां के कहने पर मगरमच्छ को वापस तालाब में छोड़ा था।
आठ साल की उम्र में संघ से जुड़ गए थे पीए मोदी
जिस समय मोदी स्कूल पढ़ाई की कर रहे थे, आरएसएस काफी तेजी से गुजरात में पनप रहा था और महज 8 साल की उम्र में मोदी शाखा से जुड़ गये। 1958 में दीपावली के दिन लक्ष्मण रावी इनामदार उर्फ वकील साहब ने मोदी को बाल स्वयं सेवक की शपथ दिलाई। मैट्रिक पास करने के बाद मोदी ने बडनगर छोड़ा और संघ में काम करने लगे। कहा जाता है कि इस दौरान मोदी ने दो साल हिमालय के क्षेत्र में बिताया और आध्यात्म को समझा और वापस अहमदाबाद लौटकर संघ के काम में जुटे।
जिस समय मोदी स्कूल पढ़ाई की कर रहे थे, आरएसएस काफी तेजी से गुजरात में पनप रहा था और महज 8 साल की उम्र में मोदी शाखा से जुड़ गये। 1958 में दीपावली के दिन लक्ष्मण रावी इनामदार उर्फ वकील साहब ने मोदी को बाल स्वयं सेवक की शपथ दिलाई। मैट्रिक पास करने के बाद मोदी ने बडनगर छोड़ा और संघ में काम करने लगे। कहा जाता है कि इस दौरान मोदी ने दो साल हिमालय के क्षेत्र में बिताया और आध्यात्म को समझा और वापस अहमदाबाद लौटकर संघ के काम में जुटे।