नकल को लेकर काफी छीछालेदर होने के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद लगातार इस पर अंकुश लगाने की जुगत में है। हर साल कुछ न कुछ नए और सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं। इसी के तहत 2017 की परीक्षा से पहले ही कमरों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का निर्देश दिया गया था। पहले साल तो यह पूरी तरह से लागू नहीं हो सका, लेकिन 2018 में इसे सख्ती से लागू कराया गया। इस बार उससे भी दो कदम आगे जा कर बोर्ड ने हर परीक्षा केंद्र के हर कमरे में वॉयस रिकार्डर वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। इस तरह पिछले वर्षों में जो साइलेंट चीटिंग यानी बोल कर नकल कराने वाली प्रवृत्ति थी वह भी इस बार कामयाब नहीं होगी। वॉयस रिकार्डर में सब कुछ दर्ज होगा ऐसे में जैसे ही कोई बोल कर किसी छात्र की मदद करने की कोशिश करेगा, वह पकड़ा जाएगा और उसके विरुद्ध नकल विरोधी अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
माध्यमिक शिक्षा सचिव संध्या तिवारी की ओर से सभी जारी निर्देश में कहा गया है कि इस बार हर हाल में नकल रोकने के लिए ऐसे विद्यालयों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा जिनके हर कमरे में वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे हों। यानी जिन विद्यालयों मे वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे नहीं होंगे उन्हे परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा।
सचिव तिवारी ने परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए विद्यालयों की मेरिट का पैमाना भी तय कर दिया है। इसके तहत सर्वाधिक 40 अंक वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरे की सुविधा है। इसके अतिरिक्त विद्यालय के चारों तरफ चहारदीवारी, लोहे का गेट, प्रश्नपत्रों को रखने के लिए सीसीटीवी कैमरायुक्त कमरे, उत्तर पुस्तिकाओं के रखने वाले कमरे में सीसीटीवी कैमरा होना अनिवार्य है। साथ ही विद्यालय का परीक्षाफल 90 फीसदी हो, परिसर में शुद्ध पेयजल, शौचालय आदि का पर्याप्त इंतजाम हो। बिजली और संपर्क मार्ग से कनेक्टिविटी भी प्रमुख है।