वाराणसी. उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय जन प्रतिनिधियों में खासी पकड़ रखने वाले कुंडा के राजा यानि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के बगावती तेवर से अखिलेश सरकार की नींद उड़ी है। राजा भईया कभी भी अपने समर्थकों के साथ भाजपा के रथ पर सवार होकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में खरमंडल कर सकते हैं। खुफिया रिपोर्ट हाथ में आने के बाद सपा बेचैन है क्योंकि राजा भईया पूर्वांचल की लगभग तीस सीटों पर प्रभाव छोड़ सकते हैं। यह संख्या बल ही सपा की बेचैनी का कारण बन रही है।
केेंद्र की खुफिया विंग आपराधिक व देश विरोधी गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही राजनीतिक उठापटक पर भी नजर रखती है। राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने वाली खुफिया विंग ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट दी है कि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अपने समर्थकों के साथ बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल मौजूदा दो दर्जन से अधिक सवर्ण मंत्री-विधायक राजा भईया के संपर्क में हैं।
गौरतलब है कि कुंडा में होने वाली हर आपराधिक गतिविधियों में राजा भईया का नाम उछलता रहता है। सपा शासनकाल में कुंडा में हुई पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद राजा भईया पर अंगुली उठी थी। लाख सफाई के बाद भी सरकार ने राजा भईया की बात नहीं सुनी थी और उनसे मंत्री पद छीनने के साथ ही सीबीआई जांच पर मुहर भी लगा दी थी। इस बात को लेकर राजा भईया सरकार से खासे खफा चल रहे थे। हालांकि बाद में क्लिनचिट मिलने पर अखिलेश सरकार ने उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल किया लेकिन राजा भईया और उनके समर्थकों में एक टीस थी।
राजा भईया की इस टीस से सपा मुखिया का परिवार वाकिफ था। इसलिए बीते पखवारे राज्यसभा चुनाव के दौरान अखिलेश व मुलायम सिंह यादव लखनऊ में स्वयं राजा भईया से मिलने पहुंचे थे। एक घंटे से अधिक समय तक चली अहम बैठक में राजा भईया ने अखिलेश व मुलायम को आश्वस्त किया था कि राज्यसभा में उनके उम्मीदवार बैठेंगे। राजा भईया अपने वादे के पक्के निकले और उनके समर्थकों की मदद अमर सिंह समेत अन्य नेता राज्यसभा की कुर्सी पर बैठे। इतना ही नहीं इसके कुछ दिन बाद ही मुलायम व अखिलेश राजा भईया के एक करीबी के जन्मदिन में भी शामिल हुए और घंटों गपशप लड़ाई। राजा भईया के सोशल पेज पर तस्वीरें भी साझा हुई थी।
हालांकि अखिलेश यादव सरकार को इसका भान था कि ठाकुर वोटबैंक पर खासा प्रभाव डालने वाले राजा भईया अंदर ही अंदर नाराज चल रहे हैं, इसलिए ही मुलायम सिंह यादव ने दांव खेलकर अमर सिंह की पार्टी में वापसी कराई थी ताकि राजा भईया का विकल्प पार्टी में मौजूद रहे लेकिन फिलहाल अमर सिंह पर उम्र हावी दिख रही है और शायद यही वजह है कि अमर सिंह इस बार यूपी में अब तक कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं।
केंद्र की खुफिया विंग की रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो राजा भईया से बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी संपर्क में हैं। दयाशंकर सिंह विवाद के बाद स्वाति सिंह के साथ राजा भईया व उनकी टीम खड़ी थी। सोशल मीडिया पर भी राजा भईया ने स्वाति सिंह का समर्थन किया था। सपा सरकार पर इस मामले में एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगाते हुए उत्तर प्रदेश के कई क्षत्रिय जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई थी। इस प्रकरण के बाद राजा भईया की स्वीकार्यता बढ़ी है। खुफिया रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि मायावती से राजा भईया का 36 का आंकड़ा है। ऐसे में राजा भईया कभी नहीं चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश के सत्ता की चाभी मायावती के पास आए। ऐसे में राजा भईया और उनके समर्थक फिलहाल आने वाले दिनों की बाट जोह रहे है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा। ऊंट के करवट बैठने के आधार पर ही राजा भईया भाजपा के साथ जुड़ेंगे।