वाराणसी में जलस्तर मंगलवार की सुबह से तेजी से बढ़ने लगा। 24 घंटे में 43 सेंटीमीटर तक जलस्तर बढ़ा है। कानपुर में भी गंगा खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। वहां से मंगलवार को 3,64,797 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह अब तक का रिकॉर्ड डिस्चार्ज है। दशाश्वमेध और शीतला घाट के आरती स्थल तक पानी पहुंच चुका है तो हरिश्चंद्र घाट पर भी हरिश्चंद्र पादुका पानी में डूब गई है। सोमवार शाम आठ बजे अप स्ट्रीम में जलस्तर 113.86 मीटर था जो मंगलवार शाम छह बजे तक 39 सेंटीमीटर तक बढ़ गया।
और बढ़ेगा गंगा का जलस्तर केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर आगे भी बढ़ेगा। मंगलवार सुबह तुलसी घाट समेत निचले घाटों तक पानी पहुंच चुका था। रीवा घाट के रास्ते भी पानी पहुंच चुका है और इसके साथ ही चेतसिंह घाट, शिवाला घाट, चौकी घाट डूब चुके हैं।
फसलों पर असर पहाड़ों पर हुई जोरदार बारिश का असर फसलों पर पड़ा है। मिर्च, लहसुन और हरी सब्जियों की फसलें बाढ़ की चपेट में आने से डूब गई है। कानपुर में कई फसलें खराब हो गई हैं। किराये पर खेती करने वाले किसान मिर्च, लहसुन, प्याज, हरी मटर, शिमला मिर्च, बंधा गोभी की फसलें तैयार करते हैं। इन फसलों की किसानों ने बुवाई भी करा दी थी, लेकिन बाढ़ आने से फसलें डूब गई हैं। जिले में 10 हजार हेक्टेयर से अधिक गंगा किनारे का कटरी क्षेत्र है, जिसमें आसपास के गांवों के किसान हरी सब्जी व मिर्च, लहसुन, प्याज मसाला की खेती करते हैं, जिनको किसान कानपुर रामादेवी मंडी, बिंदकी, औंग, शिवराजपुर, चौडागरा कस्बा के बाजारों में बेचते हैं। बाढ़ से ज्यादातर सब्जी व मसाले की फसलों के नष्ट होने की आशंका है।