पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय से आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में इसका खुलासा हुआ है। कांग्रेस सेवादल के मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड से जनहित मे आरटीआई के तहत 11 सूचनाएं मांगी गई थीं जिसमें से दो क़ा जवाब मिला जबकि दो के बारे में कहा गया कि इस कार्यालय से संबंध नही है।
दोनों सवाल निम्नवत थे
अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक dvvnl, pvvnl, puvvnl , mvvnl को कितनी यूनिट बिजली वितरित कि गई तथा dvvnl , puvvnl, mvvnl, pvvnl ने वितरित की गई बिजली क़ा कितना मूल्य चुकाया और कितना बकाया रहा ? अब सवाल उठता है को वितरण कंपनियों को बिजली कौन देता है और ये कंपनियां उसका मूल्य किसको चुकाती हैं।
अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक dvvnl, pvvnl, puvvnl , mvvnl को कितनी यूनिट बिजली वितरित कि गई तथा dvvnl , puvvnl, mvvnl, pvvnl ने वितरित की गई बिजली क़ा कितना मूल्य चुकाया और कितना बकाया रहा ? अब सवाल उठता है को वितरण कंपनियों को बिजली कौन देता है और ये कंपनियां उसका मूल्य किसको चुकाती हैं।
जिन दो सवालो क़ा जवाब मिला उनसे स्पष्ट है की प्राइवेट और सरकारी बिजली कंपनियों से जो बिजली खरीदी गई उसका औसत खरीदारी रेट 3.80 रुपये है, क्योकि 17-18 में कुल खरीदी गई बिजली 119051.51mu (मिलियन यूनिट ) क़ा कुल दाम 45935.37करोड़ है और बिजली कंपनियां इसे शहरो मे घरेलू उपभ उपभोक्ताओं को कुल मिला कर 6.75 रुपये (सभी सर चार्ज सहित) पर और व्यवसायिक उपभोक्ताओ को औसत 11.15रूपये (सभी सर चार्ज सहित ) पर बेच रही है। अब सवाल उठता है की अपने देश के नागरिको बिजली उपलब्ध कराना मौलिक अधिकारों मे आता है तो फिर इसे देश के नागरिको से इतना ज्यादा मुनाफा क्यो कमाया जा रहा है। इसे 04 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से व्यवसायिक और घरेलू बिजली उपभोक्ताओ को दिया जा सकता है (सभी सर चार्ज लेकर ) क्योकि सस्ती बिजली से देश के कल कारखाने तरक्की करेंगे। उसमे काम करने वाले कामगारों को अच्छी तनख्वाह मिलेगी। उनका विकास होगा। परिणाम स्वरूप देश विकसित होगा।
यूपीपीसीएल द्वारा बिजली कंपनियों से खरीदी गई बिजली के रेट पर नजर डाला जाय तो एक बात स्पष्ट हो जाएगी सरकार ने जो प्राइवेट कंपनी से बिजली खरीदी उसका दाम 04 रूपये से अधिक मतलब 4.80,5.o4,8.58 इत्यादि है जबकि सरकारी कंपनियों का रेट 63 पैसे से लेकर 02 रूपये व 03रूपये से नीचे है। इससे स्पष्ट है की सरकार प्राइवेट बिजली कंपनियों से महंगी बिजली खरीद रही है ताकि प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुचाया जा सके और कमीशन बाजी के खेल को बढ़ाया जा सके।