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बिजली कर्मचारियों का ऐलान, पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की वीडियो कांफ्रेंसिंग का करेंगे बहिष्कार

locationवाराणसीPublished: Mar 21, 2018 04:03:23 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति ने मुख्यमंत्री को निजीकरण के खिलाफ लिखा पत्र, कहा शासन प्रशासन उत्पीड़न से बाज आए।

बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

वाराणसी. बनारस समेत प्रदेश के पांच शहरों में बिजली के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों और अभियंताओं का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आगामी 23 मार्च को प्रस्तावित पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की वीडियो कांफ्रेंसिंग के बहिष्कार का ऐलान कर दिया। साथ ही मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की है। यह जानकारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेद्र दुबे ने पत्रिका को दी। उन्होंने कहा कि इस बीच प्रदेश भर में जिला स्तरीय बिजली दफ्तरों पर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। दुबे ने पांच शहरों के फ्रेंचाइजीकरण के पहले आगरा की समीक्षा और सीएजी आडिट की मांग की। इस बीच आज तीसरे दिन भी वाराणसी सहित प्रदेश भर में जिला व परियोजना मुख्यालयों पर बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन व सभा जारी रहा।
दुबे ने पत्रिका को बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को पत्र भेजकर कहा है कि निजीकरण के विरोध में सरकार का ध्यानाकर्षण करने के लिए बिजली कर्मचारियों द्वारा चलाये जा रहे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए प्रदेश शासन एवं ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारी दमनात्मक रवैया अख्तियार कर रहे हैं। समिति इसका पुरजोर विरोध करती है। इससे बिजली उद्योग में अनावश्यक तौर पर टकराव का वातावरण बन रहा है। समिति ने पत्र में लिखा है कि निजीकरण के विरोध में समिति द्वारा दी गई नोटिस में 27 मार्च को कार्य बहिष्कार की सूचना दी गयी है। कार्य बहिष्कार से बिजली उत्पादन घरों , 765 /400 के वी ट्रांसमिशन और सिस्टम आपरेशन की पाली में कार्यरत कर्मचारियों को अलग रखा गया है जिससे आम जनता को बिजली ठप्प होने वाली कठिनाई का सामना न करना पड़े। बावजूद इसके मुख्य सचिव ने इस बाबत जारी सर्कुलर में सामान्य लोकतान्त्रिक विरोध को हड़ताल बताकर दमनात्मक कार्रवाई का आदेश जारी कर दिया हैं। इससे बिजली निगमों में कार्य का माहौल ख़राब हो रहा है। संघर्ष समिति ने मुख्य मंत्री जी को सूचित कर दिया है कि ऐसे माहौल में 23 मार्च को पावर कार्पोरेशन के चेयरमैन की वीडिओ कान्फ्रेसिंग का बहिष्कार किया जाएगा।
विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति प्रमुख पदाधिकारियों शैलेन्द्र दुबे ,राजीव सिंह , गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना , सुहेल आबिद ,राजेन्द्र घिल्डियाल, बिपिन प्रकाश वर्मा, महेंद्र राय, परशुराम, करतार प्रसाद, मो इलियास, पी एन तिवारी, पी एन राय, पवन श्रीवास्तव, पूसे लाल, ए के श्रीवास्तव ने पत्रिका को जारी बयान में पांच शहरों के फ्रेंचाइजीकरण की नीति और नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए दावा किया कि जिन पांच शहरों के निजीकरण का फैसला लिया गया है उन शहरों में बिजली राजस्व में वृद्धि और मिलने वाला राजस्व आगरा फ्रेंचाइजी टोरेंट से मिलने वाले राजस्व से अधिक है। ऐसे में सरकार को यह बताना चाहिए कि इन शहरों के निजीकरण का आधार क्या है ?
संघर्ष समिति ने यह सवाल भी उठाया कि आगरा में निजी कंपनी की उपलब्धि के विषय में एक निजी सलाहकार की रिपोर्ट को आधार मान कर ढिंढोरा पीटना कितना उचित है। उन्होंने कहा कि टोरेंट कंपनी के विगत आठ साल के आगरा के कार्यों का सीएजी से निष्पक्ष आडिट कराया जाय तब असलियत सामने आएगी और आम जनता को पता चलेगा कि निजीकरण के नाम पर अरबों रुपये का घोटाला हो रहा है। समिति ने यह भी मांग की है कि बिजली बेचने वाली निजी कंपनियों रिलायंस , बजाज, लैंको, जेपी, जीवी आदि का भी सीएजी आडिट कराया जाय, ताकि इनसे काफी महंगी बिजली खरीद का फर्जीवाड़ा उजागर हो सके। समिति ने आरोप लगाया कि निजी कंपनियों का सीएजी आडिट कराने को सरकार तैयार नहीं है इसीलिए बड़े घोटालों को अंजाम देने के लिए बड़े औद्योगिक व वाणिज्यिक शहरों के बिजली वितरण का निजीकरण किया जा रहा है।
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