अलकनंदा क्रूज लाइन का सफर :- गंगा की लहरों पर अब रो-रो बोट (रोल-आन-रोल-आफ पैसेंजर शिप) सैम माणिक शाह क्रूज़ पर्यटकों को काशी से मिर्ज़ापुर तक की सैर कराएगी। ।क्रूज़ वाराणसी के रविदास घाट से सुबह 9 बजे चलेगी। करीब डेढ़ घंटे में प्राचीन शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेगी। दोपहर 01.30 घंटा पर लंच होगा। करीब 2 बजकर 30 मिनट पर क्रूज चुनार के किले पर पहुंचेगा। वहां से किले में सोनवा मंडप, भर्तृहरि की समाधि, बाबर और औरंगजेब का हुक्मनामा, शेरशाह सूरी का शिलालेख, आलमगीरी मस्जिद, बावन खंभा और रहस्मयी बावड़ी, जहांगीरी कक्ष, रनिवास, मुगलकालीन बारादरी, तोपखाना व बंदी गृह, लाल दरवाजा, सोलर क्लॉक और वारेन हेस्टिंग के बांग्ला के बारे में गाइड से जानकारियां देगा। इसके बाद क्रूज दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर वाराणसी के लिए वापस निकलेगी और शाम 5 बजे तक रविदास घाट पर लौट आएगा।
गंगा यात्रा कब खत्म हो जाएगी, पता ही नहीं चलेगा : डायरेक्टर अलकनन्दा क्रूज़ लाइन के डायरेक्टर विकास मालवीय ने बताया कि, क्रूज़ में मनोरंजन और बनारसी खान पान का पूरा इंतज़ाम अलकनंदा करेगा। सुबह नाश्ते से लेकर दोपहर का खाना और शाम का नास्ता भी रहेगा। लाइव म्यूजिक का आनंद मिलेगा। 140 किलोमीटर की गंगा यात्रा कब खत्म हो जाएगी, पता ही नहीं चलेगा।
अलकनंदा क्रूज लाइन की खासियतें :- क्रूज़ पूरी तरह वातनुकूलित है। इसकी रफ़्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटे है। इसमें करीब 250 यात्रा कर सकते हैं। सुरक्षा के सभी उपकरणों से लैस है। हर रविवार को उपलब्ध होगी। साथ में अनुभवी टूरिस्ट गाइड की टीम होगी। यात्रा का टिकट प्रति व्यक्ति महज़ 3000 रुपए है। 10 टिकट एक साथ लेने पर दो टिकट मुफ्त है। नार्थ इंडिया की ये पहली पर्यटन सेवा होगी।
बिस्किट जिसकी एक बाइट से एक सप्ताह तक भूख गायब :- क्रूज में सुरक्षा के तमाम इंतेजाम हैं। इस क्रूज पर एक लाइफ रेफ्ट बॉक्स है। इसे आपातकालीन स्थिति में नदी में छोड़ दिया जाता है तो वह एक बंद बोट बन जाती है। इस बोट में 20 व्यक्तियों का आसानी से रेस्क्यू किया जा सकता है। इसमें एक खास किस्म का बिस्किट है, जिसकी एक बाइट खा लेने पर सप्ताह भर भूख नहीं लगती है। सैटेलाइट को सिग्नल देने का यंत्र भी फिट है। क्रूज पर कई फ्लोटिंग रोप भी हैं, जो कि तैरता रहता है। पानी में अगर कोई गिर जाए तो इस रोप को पकड़कर वह सुरक्षित रहेगा।