इंटरनेशनल वेबिनार में छाया रहा कोविड 19 का मुद्दाआरएसएस नेता डा. कृष्ण गोपाल बोले, हमें सात्विक जिन्दंगी जीने पर काम करना होगा
मांसाहार से कोरोना वायरस, सात्विक जीवन है इसका उपाय : संघ
वाराणसी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल वेबिनार में भी कोरोना पर खूब चर्चा हुई। जहां इससे उबरने के लिए कुछ विद्वानों ने भारत की संस्कृति खान पान को अपनाने पर जोर दिया तो वहीं कुछ ने कहा की इस कोरोना ने हमें संयम में रहना सीखा दिया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक के सह सर कार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने तो यहां तक कह दिया की मांस खाने से ही कोरोना का जन्म हुआ है। हमें सात्विक जिन्दगी जीने पर काम करना होगा।
बीएचयू के मालवीय मिशन द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें कई विद्वानों शिक्षाविदों, सामाजिक शोध से जुड़े लोगों ने भी हिस्सा लिया। इस वेबिनार में बोलते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान पर महामना का जो चिंतन है उसे ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति भारत-केंद्रित होगी। हम पुन: अपनी जड़ों को सशक्त करेंगे और हमे भरोसा है देश की नई शिक्षा नीति महामना के परिकल्पनाओं पर खरी उतरेगी। उन्होंने कोविड 19 पर कहा की भारत अपने संस्कृति, विचारों और धरोहरों से इस संकट से उबरेगा। कोविड संकट में आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है।
मांसाहार से कोरोना जैसी बीमारी का जन्म :- इस वेबिनार में बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि सभ्यता कुछ वर्षों में बदल जाती है, किंतु संस्कृति दूध में घी जैसी चिरस्थायी है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसे संकट का मूलाधार मांसाहार है। इससे मन भी दूषित होते हैं। महामना एवं गांधी जी ने कभी मांसाहार को स्वीकार नहीं किया। हमारे समाज में हमेशा ही कहा गया है जीव जीव पर दया करो। लेकिन दुनिया ने इसे नहीं माना आज मांसाहार के कारण ही कोरोना संक्रमण पूरी दुनिया को तबाह कर रहा है।
कोरोना ने सिखाया संयम में रहना :- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. धीरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि इस कोरोना संकट काल ने हमें संयम में रहना सिखा दिया है। जो जहां है वहीं से अपना काम करके लोगों को लाभ तो दे ही रहा है। अपने आऔऱ औरों की रक्षा के लिए लोग अभी भी घरों में रहने को तैयार हैं ऐसा कभी किसी हाल मे नहीं हुआ था। पर आज ये कोरोना के कारण सम्भव हो सका है।