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नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में संस्कृत भाषा में लिखे जाएंगे राजनेताओं के नाम और पदनाम

locationवाराणसीPublished: Oct 23, 2021 10:03:37 am

– काशी विद्वत परिषद बनारस के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने लगाई मोहर- सरकारी गजट का प्रकाशन भी संस्कृत में होगा- और लोकार्पण शिलान्यास में भी संस्कृत भाषा में दर्ज होंगी जानकारियां

नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में संस्कृत भाषा में लिखे जाएंगे राजनेताओं के नाम और पदनाम

नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में संस्कृत भाषा में लिखे जाएंगे राजनेताओं के नाम और पदनाम

वाराणसी. Sanskrit language देववाणी संस्कृत को एक बार फिर से जन-जन की भाषा बनाने के लिए सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। नई दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में राजनेताओं के नाम और पदनाम संस्कृत में लिखे जाएंगे। इसके साथ ही सरकारी गजट का प्रकाशन भी संस्कृत में होगा। और लोकार्पण शिलान्यास में भी संस्कृत भाषा में जानकारियां दर्ज होंगी। काशी विद्वत परिषद बनारस ने यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिस पर केंद्र सरकार ने अपनी अनुमति प्रदान की है।
भाजपा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने बताया कि, कई साल से सरकारी गजट में देववाणी संस्कृत का प्रयोग बंद कर दिया गया था। सरकार ने सरकारी गजट की शुरुआत में पंचांग को शामिल करने की पहल की। अगले चरण में सेंट्रल विस्टा के निर्माण के बाद पहला काम राजनेताओं के नाम व पदनाम संस्कृत में लिखे जाएंगे।
संस्कृत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उपयोगी :- बीएल संतोष ने जानकारी देते हुए बताया कि, बाबासाहेब आंबेडकर का मानना था कि संस्कृत पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांधने में सक्षम होगी। उन्होंने संविधान सभा में इसे भारत की राजभाषा बनाने तक का प्रस्ताव दिया था। संस्कृत भविष्य की प्रौद्योगिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी बहुत उपयोगी है।
सरकारी गजट में पंचांग शामिल :- काशी विद्वत परिषद महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि, काशी विद्वत परिषद ने अमृत महोत्सव शुरू होने पर सरकार को पत्र लिखकर देववाणी संस्कृत भाषा के उन्नयन पर कार्ययोजना बनाने का आग्रह किया था। सरकार ने तुरंत इस पर अनुमति प्रदान की और सर्वप्रथम सरकारी गजट में पंचांग को शामिल कर लिया है। आने वाले समय में सरकारी योजनाओं के लोकार्पण व शिलान्यास में भी संस्कृत भाषा में जानकारियां दर्ज की जाएंगी। दिल्ली के बाद इसको सभी राज्यों में लागू करने की योजना पर काम चल रहा है।
संस्कृत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाएगा गूगल :- प्रो द्विवेदी ने बताया कि, सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता की वजह से इसकी श्रेष्ठता सर्वस्वीकृत है। गूगल ने संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने की घोषणा की है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुच्छेद में उल्लिखित संस्कृत में पांच हजार साल से लेखन होता चला आ रहा है। संस्कृत में न केवल हिंदू बौद्ध जैन आदि के प्राचीन धार्मिक ग्रंथ लिखित हैं बल्कि इसमें साहित्य संस्कृति व ज्ञान.विज्ञान परक लगभग तीन करोड़ से भी ज्यादा पांडुलिपियां मौजूद हैं।

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