वाराणसी

निस्वार्थ भाव से किसी भी अनजाने की मदद कर रहे इन कोरोना कर्मवीरों को सैल्यूट

श्रमिक स्पेशल ट्रेन में गर्भवती महिला को हुई प्रसव पीड़ारुकी ट्रेन तो गांववालों ने अस्पताल पहुंचाया, बेटी का हुआ जन्म

वाराणसीMay 24, 2020 / 03:49 pm

Mahendra Pratap

निस्वार्थ भाव से किसी भी अनजाने की मदद कर रहे इन कोरोना कर्मवीरों को सैल्यूट

वाराणसी. कोरोना वायरस के इस दौर बहुत से लोग ऐसे हैं जो बिना किसी प्रशंसा और शाबासी के अपना काम गुपचुप रूप से करते हैं। ऐसी कहानी बनारस के करीब लोहता गांव की है। इस गांव के कर्मवीर रेलवे स्टेशन पर जैसे ही कोई ट्रेन रुकती है उनका समूह आता है, किसी को पानी किसी को खाना दे कर चुपचाप चला जाता है। इन कोरोना कर्मवीरों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर तत्काल उसे ट्रेन से उतारकर करीब के अस्पताल ले गए। जहां उस महिला ने एक बेटी को जन्म दिया। और यह सभी कर्मवीर अपना काम कर धीरे से वापस चले गए।
लॉकडाउन के इस संकट काल में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गुजरात से गाजीपुर के लिए चली। इस ट्रेन में जौनपुर की रहने वाली महिला सवार थी। गाजीपुर में उतरकर उसे बस से अपने शहर जौनपुर जाना था। महिला गर्भवती थी। महिला नाम रुबिका था। उनके पति जौनपुर के लाइन बाज़ार निवासी ज्योति प्रकाश हैं। पत्नी रुबिका को प्रयागराज में प्रसव पीड़ा शुरू हुई। पति ने स्टेशन के कंट्रोल को जानकारी दिया। लेकिन कोई मदद नहीं मिली और ट्रेन वाराणासी के लिए खुल गई। जब ट्रेन लोहता स्टेशन के पहले भट्ठी गांव के पास पहुंची तो सिग्नल नहीं होने से ट्रेन खड़ी हो गई। लोहता स्टेशन और वाराणसी की दूरी 12 किलोमीटर है। ट्रेन काफी समय तक रुकी औऱ उधर महिला प्रसव से कराहती रही।
तभी अचानक स्टेशन पर उन कोरोना कर्मवीरों का समूह आ गया। रोज की तरह यात्रियों को बिस्किट पानी बांटने लगे। तभी उन सभी को पति से जानकारी हुई कि रुबिका को प्रसव पीड़ा हो रही है। फिर क्या था। इन कोरोना कर्मवीरों के सहयोग से महिला को ट्रेन से उतारकर एंबुलेंस के जरिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। जहां रुबिका ने एक बेटी को जन्म दिया। इस गांववालों को हम सैल्यूट करते हैं। जो निस्वार्थ भाव से किसी भी अनजाने की मदद कर रहे हैं।

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