लॉकडाउन के इस संकट काल में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गुजरात से गाजीपुर के लिए चली। इस ट्रेन में जौनपुर की रहने वाली महिला सवार थी। गाजीपुर में उतरकर उसे बस से अपने शहर जौनपुर जाना था। महिला गर्भवती थी। महिला नाम रुबिका था। उनके पति जौनपुर के लाइन बाज़ार निवासी ज्योति प्रकाश हैं। पत्नी रुबिका को प्रयागराज में प्रसव पीड़ा शुरू हुई। पति ने स्टेशन के कंट्रोल को जानकारी दिया। लेकिन कोई मदद नहीं मिली और ट्रेन वाराणासी के लिए खुल गई। जब ट्रेन लोहता स्टेशन के पहले भट्ठी गांव के पास पहुंची तो सिग्नल नहीं होने से ट्रेन खड़ी हो गई। लोहता स्टेशन और वाराणसी की दूरी 12 किलोमीटर है। ट्रेन काफी समय तक रुकी औऱ उधर महिला प्रसव से कराहती रही।
तभी अचानक स्टेशन पर उन कोरोना कर्मवीरों का समूह आ गया। रोज की तरह यात्रियों को बिस्किट पानी बांटने लगे। तभी उन सभी को पति से जानकारी हुई कि रुबिका को प्रसव पीड़ा हो रही है। फिर क्या था। इन कोरोना कर्मवीरों के सहयोग से महिला को ट्रेन से उतारकर एंबुलेंस के जरिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। जहां रुबिका ने एक बेटी को जन्म दिया। इस गांववालों को हम सैल्यूट करते हैं। जो निस्वार्थ भाव से किसी भी अनजाने की मदद कर रहे हैं।