मंगलवार, 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। सनातन हिंदू धर्म में चन्द्रग्रहण एक धार्मिक घटना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। यह चंद्र ग्रहण 16-17 जुलाई की रात लग रहा है। यह इस साल का दूसरा चन्द्र ग्रहण होगा। यह 65 परिमाण का आंशिक ग्रहण है, इसलिए अधिकतम ग्रहण के दौरान चन्द्रमा का लगभग आधा भाग पृथ्वी की उपच्छाया से छिपा रहेगा। उपच्छाया के अंदर चन्द्रमा का हिस्सा केवल पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से अपवर्तित सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होगा। यह चन्द्र ग्रहण अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के अधिकांश देश और उत्तरी अमेरिका के कुछ पूर्वी हिस्सों में दिखाई देगा। आंशिक चन्द्र ग्रहण भारत, पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस और सिंगापुर में भी दिखाई देगा।
ये भी पढें- गुरु पूर्णिमा- दोपहर तक ही कर लें गुरु पूजन, नहीं मिलेगा मुहूर्त, ये है कारण गंगोत्री सेवा समिति के अध्यक्ष बाबू महाराज ने बताया कि वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर संस्था द्वारानित्य सांयकालीन होने वाली विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती तीसरी बार भगवान भाष्कर के आभा मंडल में सम्पन होगी। वैदिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के सूतक काल की वजह से ऐसा किया जा रहा है। बाबू महाराज के अनुसार चन्द्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है, जो इस बार दोपहर 3.56. 01 से प्रारंभ होगा। लिहाजा शाम को होने वाली नित्य गंगा आरती दोपहर बाद तीन बजे से शुरू होगी।
चंद्र ग्रहण और सूतक काल का समय चंद्र ग्रहण स्पर्श काल- रात 1.30 बजे के बाद शुरू
मोक्ष- भोर के 4.30 बजे
ग्रहण की अवधि – 2 घंटे 57 मिनट्स 14 सेकंड
सूतक प्रारम्भ – 3 . 56 . 01 बजे दिन
सूतक समाप्त – 4 . 29 . 50 दिन
मोक्ष- भोर के 4.30 बजे
ग्रहण की अवधि – 2 घंटे 57 मिनट्स 14 सेकंड
सूतक प्रारम्भ – 3 . 56 . 01 बजे दिन
सूतक समाप्त – 4 . 29 . 50 दिन
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