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आधी रात को लाशों के बीच झूमकर नाचती हैं सेक्स वर्कर

locationवाराणसीPublished: Aug 21, 2021 12:31:13 pm

Varanasi Manikarnika Ghat – काशी के मणिकर्णिका घाट पर हर साल होता है श्मशान नाथ महोत्सव – चैत्र नवरात्र की सप्तमी की रात में आयोजित होता है यह महोत्सव

आधी रात को लाशों के बीच झूमकर नाचती हैं सेक्स वर्कर

आधी रात को लाशों के बीच झूमकर नाचती हैं सेक्स वर्कर

वाराणसी. विश्व की प्राचीनतम नगर में शामिल काशी सभी हिन्दू श्रद्धालुओं के आराध्य देव शिव की नगरी है। काशी को कुछ वाराणसी, कुछ बनारस नाम से पुकारते हैं। कहा जाता है भोले के त्रिशूल पर काशी टिकी है। काशी अनोखी नगरी है। कई अद्भुत परंपराएं इस नगरी से जुड़ी हुई हैं। जिन्हें सुन या जानकर लोग जहां हैरान होने के साथ आश्चर्यचकित हो जाते हैं। मणिकर्णिका घाट से जुड़ी एक परंपरा आपके रोंगटे खड़ा कर देगी। इस घाट पर एक ऐसा आयोजन होता है कि एक तरफ़ मुर्दों की लाशें जलती है तो एक तरफ सेक्स वर्कर (नगर वधुएं) झूमकर नाचती हैं। आखिर क्यों?
लाशों के बीच घुंघरुओं की झंकार :- चैत्र नवरात्र की सप्तमी की रात श्मशान नाथ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। काशी की मणिकर्णिका घाट पर हर साल मोक्ष प्राप्त करने के लिए सेक्स वर्कर (नगर वधुएं) नृत्य करती हैं। रात में मुर्दों की जलती लाशों के बीच घुंघरुओं की झंकार सुनकर कोई भी डर जाए पर सेक्स वर्कर हैं कि अपने अल्‍हड़ अंदाज से महाश्‍मशान के राजा श्‍मशान नाथ को खुश करने का पूरा जोर लगाती हैं।
नटराज से निवेदन :- ऐसा प्रचलन में है कि, नगर वधुएं जलती चिताओं के सामने नटराज को साक्षी मानकर यहां नाचेंगी तो अगले जन्‍म में नगरवधू का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा। इसलिए यह सभी नगरवधू भगवान नटराज से निवेदन करती रहती हैं।
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कैसे शुरू हुआ श्‍मशान नाथ उत्‍सव :- बताया जाता है इस प्रथा की शुरूआत वर्ष 1585 में हुई थी। आमेर के राजा सवाई मान सिंह के समय से परम्परा शुरू हुई है। मान सिंह ने 1585 में मणिकर्णिका घाट पर मंदिर का निर्माण करवाया था। श्‍मशान नाथ उत्‍सव में महाश्‍मशान की वजह से जब कोई कलाकार संगीत कार्यक्रम पेश करने को राजी नहीं हुआ तो मान सिंह ने नगरवधुओं को आमंत्रण भेजा। नगरवधुओं इस आमंत्रण को सहर्ष स्‍वीकार कर लिया। और पूरी रात महाश्‍मशान पर नृत्‍य करती रही। वो दिन है और आज का दिन यह परम्परा निरंतर चली आ रही है।
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