बता दें कि गत एक दिसंबर 2017 को परिणाम घोषित होने और 13 दिसंबर को मेयर सहित 89 पार्षदों के शपथ ग्रहण के बाद पत्रिका ने मिनी सदन की पहली बैठक को लेकर सवाल उठाया था। कारण साफ था कि शपथ ग्रहण के तत्काल बाद मीडिया से बातचीत में मेयर मृदुला जायसवाल और नगर आयुक्त डॉ नितिन बंसल यह नहीं बता पाए थे कि सदन की बैठक कहां और कब होगी। पत्रिका ने अभी रविवार को भी इस मुद्दे पर सवाल खड़ा किया था और कहा था कि मिनी सदन की बैठक के लिए अभी एक पखवारे तक इंतजार करना होगा। भाजपा खरवांस उतरने का इंतजार कर रही है। उस खबर के बाद नगर निगम प्रशासन और बीजेपी हरकत में आए और आनन-फानन में पहली बैठक की तिथि व स्थान भी मुकर्रर कर दिया। इस बैठक के लिए वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रण भेजा जा रहा है। साथ ही अन्य जनप्रतिनिधियों को भी न्योता भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इस पहली बैठक की तिथि व स्थान तय होने के साथ ही कार्यकारिणी के चुनाव की तैयारी भी सभी पार्टियों में तेज हो गई है। बता दें कि कार्यकारिणी के कुल 12 सदस्यों का चुनाव होना है। बहुमत किसी के पास नहीं है अभी तक। ऐसे में सभी दलों की निगाह निर्दल पार्षदों पर है। अबकी सदन में कुल 13 पार्षद निर्दल हैं। वैसे अब तक जो गुणा गणित सामने आई है उसके मुताबिक भाजपा सात, कांग्रेस तीन और समाजवादी पार्टी दो पार्षदों को कार्यकारिणी में भेजने की जुगत में है। वैसे इस चुनाव को लेकर भाजपा और समाजवादी पार्टी से नगर निगम के दो पुराने दिग्गज भी सक्रिय हो गए हैं। इस पहली ही बैठक में एक
चीज साफ हो जाएगी कि आखिर किस पार्टी का दबदबा रहेगा। वैसे यह भी बता दें कि 2012 से 2017 तक के सदन के कार्यकाल में तो कार्यकारिणी का गठन ही नहीं हुआ। उससे पहले बहुमत हो या न हो कार्यकारिणी में सदस्यों को भेजने के मामले में बीजेपी की गणित बहुत दुरुस्त रही है। अगर पार्टी उन गणितज्ञों को विश्वास में लेकर इस चुनाव में उतरती है तो निःसंदेह उन्हें सफलता मिल सकती है।
बता दें कि नगर निगम अधिनियम के तहत हर दो महीने में एक यानी साल में कम से कम छह बैठक तो होनी है ही निगम सदन की। वही कार्यकारिणी की 12 बैठकें होनी चाहिए। वैसे यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। अधिनियम की धारा 91 (1) व 91 (2) के तहत एजेंडा बनाए जाएंगे। धारा 91 (1) प्रशासनिक होगा तो 91 (2) में पार्षदों के प्रस्ताव होते हैं। इन एजेंडों को पहले कार्यकारिणी में रखा जाता है। कार्यकारिणी से पारित प्रस्ताव को ही कार्यकारिणी के उप सभापति निगम सदन के पटल पर रखते हैं।