जिसकी मां ने सेप्टिक से तोड़ा था दम, पिता चलाते थे रिक्शा; वो गोविंद जायसवाल बने IAS
वाराणसीPublished: Nov 15, 2023 09:01:15 am
IAS Officer Govind Jaiswal: वाराणसी की गलियों में रिक्शा चलवाने वाले वाराणसी के नारायण जायसवाल के ऊपर ऐसी मुसीबत पड़ी की उन्हें इन्ही गलियों में रिक्शा चलाना पड़ा। उन्होंने कई मुसीबतें झेलीं इसी बीच पत्नी भी बिमारी के साथ दुनिया से अलविदा कह गई पर उन्होंने अपने बेटे के सपने को साकार किया और बेटे की पढ़ाई में आई बाधाओं को हटा दिया जिसका फल बेटे ने आईएएस ऑफिसर बनकर दिया। आखिर कैसे गोविंद ने इतनी मुसीबतों के बाद भी अपने सपने को साकार किया, जानिए सब कुछ इस रिपोर्ट में...


रिक्शा चालक का बेटा IAS गोविंद जायसवाल, जानें सबकुछ
IAS Officer Govind Jaiswal: 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों किसने लिखा है; कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां काशी के रहने वाले आईएएस ऑफिसर गोविंद जायसवाल पर सटीक बैठती हैं। 10 साल की उम्र में मां की मौत, पिता की दिक्कतें और रोना देख कर बड़े हुए काशी के रिक्शा चालक नारायण जायसवाल के होनहार बेटे गोविंद ने कम संसाधनों के बाद भी हरिश्चंद्र पीजी कालेज से मैथ से बीएएसी की और रिक्शा चालाक पिता के सहयोग से दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी की, पिता की आंखों के आंसूंओं के बीच पढ़े और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे गोविंद ने पिता को मायूस नहीं किया और महज 22 साल की उम्र में फैर्स्ट अटेम्प्ट में ही 48वीं रैक लाकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। उनके ऊपर हाल ही में 'अब दिल्ली दूर नहीं' नाम से फिल्म भी बनाई गई।