गोवा से बलिया के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन गुरुवार को चली थी। वहां से इन सभी को खाना पानी देकर रवाना किया गया था। यह ट्रेन भुसावल तक तो ठीक आई लेकिन वो यूपी की तरफ न आकर नागपुर चली गई। इसके कारण ट्रेन महाराष्ट्र के विभिन्न रूटों पर चक्कर लगाती रही। नागपुर पहुँचकर फिर वहां से ट्रेन को वापस इटारसी होते हुए बलिया लाया गया। रविवार को पहुंचें प्रावासियों ने बताया की 24 घण्टे से अधिक समय हमें बहुत मुश्किल हुई यात्रियों को भीषण गर्मी में जहां भारी दुश्वारियां झेलनी पड़ी, वहीं भोजन के साथ ही पानी के लिए भी तरसना पड़ गया।
बिना जांच कराए ही चले गए घर :- इतनी लंबी यात्रा झेलने वाले ये लोग एक दो घण्टे का इंतजार न कर सके। जैसे ही ट्रेन गाजीपुर पहुंची बड़ी संख्या में गाजीपुर के लोगों ने चेनपुलिंग करके ट्रेन को रोक लिया काफी संख्या में यात्री बिना जांच कराए ही उतर कर घर चले गए। अब इनकी लापरवाही से संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है।
गोरखपुर की ट्रेन चली गई थी राउरकेला :- रेलवे की तरफ से ऐसी लापरवाही लगातार सामने आ रही है। मुम्बई के वसई से गोरखपुर के लिए 21 मई को चली ट्रेन नागपुर के रूट से सीधे राउरकेला जा पहुँची थी। बाद में इसे वापस लाया गया था। वहीं दूसरी तरफ 21 मई को सूरत से सिवान के लिए चली ट्रेन राउरकेला (उड़ीसा) पहुंच गई जबकि सूरत-सिवान रूट पर राउरकेला पड़ता ही नहीं।
जाना था भदोही पहुचा दिया सहारनपुर :- इसके पहले गोवा के मडगांव से शुक्रवार को चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन भदोही के बजाय सहारनपुर जा पहुँची। वहां पता चला की इस ट्रेन को भदोही जाना था। इसमें सवार 912 लोग भदोही व आसपास के हैं जबकि सहारनपुर के सिर्फ 52 लोग ही हैं।
बनारस के बजाय गई लखनऊ :- ऐसे ही दिल्ली के निजामुद्दीन से बनारस के मंडुआडीह के लिए चली ट्रेन लखनऊ पहुच गई। फिर वहां से इसे वाराणसी भेजा जा सका।