धूम्रपान करने या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी सम्भावना रहती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुंआ पहुंचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुंआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान नहीं करते हैं।
धूम्रपान शुक्राणुओं की संख्या को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके चलते नपुंसकता का शिकार बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल की थीम भी युवाओं पर केंद्रीय है ताकि उनको इस बुराई से बचाया जा सके। डीएम ने युवाओं से अपील किया है कि तंबाकू पदार्थों के सेवन के खतरे को गंभीरतापूर्वक समझें तथा इससे स्वयं भी दूर रहें और अन्य को भी जागरूक करें।
क्या कहते हैं आंकड़े :- सीएमओ डॉ. वीबी सिंह ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से आज हमारे देश में हर साल करीब 12 लाख लोग यानि करीब तीन हजार लोग हर रोज दम तोड़ देते हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन आंकड़ों को कम करने का हर भव प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण-2 (गैट्स-2) 2016-17 से यह साफ संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश में तंबाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा हर साल बढ़ ही रहा है।
आंकड़े हैरान करने वाले :- वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. एस. के पाठक ने कहा की प्रत्येक वर्ष दुनियाभर में 4.9 मिलियन लोग धूम्रपान की वजह से मरते हैं, इसके अलावा दुनियाभर में 40 फीसदी बच्चे, 35 फीसदी महिलाएं और 33 फीसदी मर्द बिन चाहे सिगरेट का धुंआ पीते हैं, जिसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं। पैसिव स्मोकिंग के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार पौने चार लाख लोग दिल की बीमारियों के कारण मरते हैं तो डेढ़ लाख से अधिक लोग सांस की बीमारी के कारण, इसके अलावा 37 हजार लोग अस्थमा से और साढ़े 21 हजार फेफड़े के कैंसर से मरते हैं, ऐसे में हमें नशे की रोकथाम के लिए बहुत सजग होकर काम करना होगा।