कांग्रेस महासचिव ने आंदोलन पर चल रहे बुनकर नेताओं से पूछा कि वो किस तरह का सहयोग उनसे और कांग्रेस पार्टी से चाहते हैं उसकी एक रूपरेखा भेजें। उन्होंने दो घंटे तक बुनकर नेताओं की बात गौर से सुनी और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि हम बुनकरों के साथ हैं। प्रियंका गांधी ने भरोसा दिलाया कि स्थानीय कांग्रेसजन उनकी पूरी मदद करेंगे।
इस दौरान बुनकरों का कहना था कि उन्हें पहले बिजली फ्लैट रेट पर मिलती थी। कुछ समय पहले उनसे मीटर के आधार पर बिजली बिल लेना शुरू किया गया। इसका विरोध हुआ और सितम्बर के पहले सप्ताह में बुनकरों ने हड़ताल कर दिया। सरकार ने यह कहकर हड़ताल समाप्त कराई कि अगस्त तक का बिजली का बकाया बिल फ्लैट रेट पर लिया जाएगा और आगे के लिये 15 दिन में एक कमेटी बनाकर नई योजना लाने का आश्वासन भी दिया गया। डेढ़ माह बाद भी न कोई बमेटी बनी न कोई नई योजना आई, बल्कि एक बार फिर से मीटर के आधार पर ही बिल लिया जाने लगा। इसी वादाखिलाफी के बाद बुनकर एक बार फिर 15 अक्टूबर से हड़ताल पर चले गए।
बुनकरों की ओर से मीटिंग में शामिल हुए इशरत उस्मानी, जीशान आलम, सैय्यद हसन, जीशान आलम और राकेश कांत राय आदि ने कहा कि जिस तरह से पहले फ्लैट रेट पर मिल रही थी उसी तरह मिलनी चाहिये। मीटिंग में पूर्व कांग्रेस सांसद राजेश मिश्रा, पूर्व विधयक अजय राय व ललितेशपति त्रिपाठी, विश्वविजय सिंह आदि शामिल हुए। बताते चलें कि इसके पहले जब बुनकर हड़ताल पर गए थे तो प्रियंका गांधी के अलावा सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी उनका समर्थन किया था।