जाने जब करोड़ों की संप्पति हो गई थी जब्त मायावती की सरकार के समय 2003 में राजा उदय प्रताप सिंह के भदरी महल से 26 jan 2003 में पुलिस ने करोड़ों की संपत्ति बरामद कर ली थी। बता दें कि, कार्रवाई के बाद उसे जिला कोषागार के डबल लॉक में जमा करा दिया गया था।
साथ ही जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में मुकदमा प्रारंभ किया गया था। लेकिन 2012 में सपा की सरकार बनते ही इनके खिलाफ लगे पोटा को हटा लिया गया था।
इसके बाद डीएम आरएस वर्मा ने मुकदमे का निपटारा कर जब्त संपत्ति को जारी करने का आदेश दिया था, मगर करोड़ों रुपए का मामला होने के कारण आयकर विभाग में जांच करनेके बाद हरी झंडी दी और फिर जब्त संप्पति को रिलीज किया गया।
साथ ही जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में मुकदमा प्रारंभ किया गया था। लेकिन 2012 में सपा की सरकार बनते ही इनके खिलाफ लगे पोटा को हटा लिया गया था।
इसके बाद डीएम आरएस वर्मा ने मुकदमे का निपटारा कर जब्त संपत्ति को जारी करने का आदेश दिया था, मगर करोड़ों रुपए का मामला होने के कारण आयकर विभाग में जांच करनेके बाद हरी झंडी दी और फिर जब्त संप्पति को रिलीज किया गया।
जाने क्यों किया गया था नजर बंद राजा भैया के पिता को नजरबंद भी किया जा चुका है। दरअसल, मुहर्रम के दिन ताजिया जुलूस के रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिर पर भण्डारा कराने को लेकर राजा उदय प्रताप सिंह को प्रशासन ने नजरबंद कर लिया गया था। इस मौके पर भदरी राजमहल के बाहर डीएम और एसपी कैंप लगाकर मौजूद थे। कुंडा के इस भण्डारे में विहिप के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे। कार्यालय पर पहुंची पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी की 24 महिला कार्यकर्ताओं समेत 44 लोगों को भी हिरासत में ले लिया था। बताया जाता है कि, कुंडा के शेखपुर आशिक में कई साल पहले मुहर्रम के दिन एक बंदर की मौत हो गई थी। लखनऊ- इलाहाबाद हाइवे के किनारे एक हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया था। उसी की याद में पिछले कई सालों से मोहर्रम के दिन यहां राजा उदय प्रताप सिंह हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। साथ ही भंडारे का आयोजन भी करवाते हैं।
इसलिए रहते हैं चर्चा में राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह की इस बात की चर्रा सभी के जुबान पर रहती है। दरअसल, उदय प्रताप सिंह कड़ाके की गर्मी में छांव नहीं बल्कि खुद धूप में बैठकर लोगों को नी पिलाते हैं। इसके लिए हरिनामगंज कुंडा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंण्ड, मंदिर, मस्जिद सभी धारिमक स्थलों पर प्याऊ लगवाते हैं। साथ ही उदय प्रताप सिंह हमेशा लोगों में दान करते रहते हैं, वहीं यूपी में सबसे पहले प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने का श्रेय भी इनके नाम है।
प्रकृति से है खास लगाव जानकारी के अनुसार, पूरे प्रतापगढ़ में किसी के कारण प्रकृति नामक संस्था की की हिम्मत नहीं है कि, कोई पेड़ काट दे। कहा जाता है कि, राजा भैया भी बिना इनसे पूछे कोठी में लगे वृक्षों हांथ नहीं लगाते। बता दें कि, इन्होंने इसी प्रेम स्थापना भी की है। ये तो हो गई इनके बारे में वो बाते जो अच्छे संबंध में हैं। पर सबके साथ बुरा वक्त भी आता है। राजा भैया के पिता का बुरा वक्त आया औऱ माया सरकार के समय में इनकी संप्पति जब्त कर लगी गई। जिसमें सोने के चार बाक्स भी थे।