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वाराणसी

विश्व का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण को लेकर जारी की है सूची, विकास के नाम पर मनमानी की सजा भुगत रही जनता

वाराणसीMay 02, 2018 / 01:50 pm

Devesh Singh

PM Narendra Modi and Banaras

PM Narendra Modi and Banaras

वाराणसी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण को लेकर जो सूची जारी की है वह पीएम मोदी के लिए किसी झटके से कम नहीं है। सूची में वायु प्रदूषण को लेकर बनारस का तीसरा स्थान है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है जिसमे भारत के 14 शहर शामिल है। कानपुर सबसे प्रदूषित शहर है जबकि उसके बाद फरीदाबाद का नम्बर आता है और फिर काशी को स्थान दिया गया है। शहर की यह स्थिति तब है जब यहां के सांसद देश के पीएम नरेन्द्र मोदी हैं और यहां पर जापान के पीएम शिंजो आबे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां व जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टरॉक भी यहां पर आ चुके हैं। संसदीय चुनाव में विजय पाने के बाद पीएम मोदी ने बनारस को क्योटो बनाने का वायदा किया था क्योटो बनना तो दूर की बात है यह शहर की विश्व की तीसरी सबसे प्रदूषित सिटी में शामिल हो गया।
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बनारस की बात की जाये तो यहां पर विकास के नाम पर हुए मजाक की कीमत लोगों को चुकानी पड़ रही है। फोरलेन के नाम पर शहर की आधी हरियाली को खत्म कर दिया गया। इसके बाद भूमिगत बिजली के तार, गैस पाइप लाइन व सीवर के लिए खोदे गये गड्ढ़ों के चलते शहर में इतनी धुल उड़ती है कि खुली हवा में सांस लेना कठिन हो गया है। विकास समय की मांग है लेकिन विकास कार्यों की मानीटरिंग नहीं होने से स्थिति इतनी खराब हुई है। सड़क पर गड्ढा खोद कर छोड़ दिया जाता है और धुल उड़ती रहती है लेकिन शहर के किसी अधिकारी को इस बात मतलब नहीं होता है कि उड़ती धुल से लोगों के फेफड़े झलनी हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट ने खतरे की घंटी बजा दी है यदि अभी भी जिला प्रशासन वायु प्रदूषण को लेकर सख्त नहीं हुआ तो आने वाले समय में खुली हवा में सांस लेना ही कठिन हो जायेगा।
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इस आधार पर तैयार की गयी है रिपोर्ट
डब्ल्यूएचओ ने फाइन पर्टिकुलर मैटर को ध्यान में रख कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में बनारस में की वायु प्रदूषण की स्थिति 151 माइक्रोग्राम /क्यूबिक मीटर दर्ज की गयी है जो नेशनल सेफ स्टेंडर्ड के अनुसार तीन गुना से अधिक है। रिपोर्ट से साफ हो जाता है कि बनारस में वायु प्रदूषण रोकने के लिए कुछ काम नहीं हो रहा है। पेड़ों की कटाई के बाद कागज पर नये पौधे लगा दिये जाते हैं जो जमीन पर भी लगते हैं वह जिंदा है या मर गये। इसका पता करने वाला भी कोई नहीं होता है। इसके अतिरिक्त शहर का ट्रैफिक लोड व पुराने वाहनों के धुएं ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
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बनारस के पर्यटर उद्योग को लग सकता है झटका
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नयी रिपोर्ट से बनारस के पर्यटन उद्योग को झटका लग सकता है यहां पर देश व विदेशी पर्यटक सबसे अधिक आते हैं ऐसे में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से बनारस आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या घट सकती है यदि ऐसा होगा तो यहां के पर्यटन उद्योग को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
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