इस मौके पर महिलाओं ने एक स्वर से कहा कि हर रोज महिलाओं को थप्पड़ों, लातों, पिटाई, अपमान, धमकियों, यौन शोषण और अनेक अन्य हिंसात्मक घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि उनके जीवन साथी या उसके परिवार के सदस्य उन्हें बराबरी का हक और सम्मान तक नही देते हैं ।इन सबके बावजूद हमें इस प्रकार की हिंसा के बारे में अधिक पता नहीं चलता है क्योंकि शोषित व प्रताड़ित महिलाएं इसके बारे में चर्चा करने से घबराती हैं। डरती व झिझकती हैं। चौपाल में इसके खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया गया।
ग्राम्या संस्थान की निदेशक बिन्दू सिंह ने बताया कि महिला पर हिंसा करने के लिए पुरुष अनके बहाने बनाता है जैसे कि- वह शराब के नशे में था, वह अपना आपा खो बैठा या फिर वह महिला इसी लायक है । लेकिन वास्तविकता यह है कि वह हिंसा का रास्ता केवल इसलिए अपनाता है जिससे वह घर व समाज में हिंसा के माध्यम से पितृसत्तात्मक व्यवस्था को कायम रख सके। महिला को इस तरह के भेदभाव व हिंसा का विरोध करने के साथ साथ पुरुषों को अपने इस मानसिकता को बदलने की भी जरूरत है।
लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने बताया कि नागेपुर बेनीपुर गनेशपुर आदि गांवों में लिंगभेद और महिला हिंसा बाल विवाह दहेज को रोकने के लिये विशेष अभियान चलाया जायेगा। चौपाल में ग्राम्या संस्था चंदौली की टीम ने कठपुतली नाटक में माध्यम से लिंगभेद व महिला हिंसा पर लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम की शुरुआत ग्राम्या संस्था की बिंदु सिंह, नीतू, लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर और गांव की महिलाओं ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस मौके पर त्रिभुवन, गनेश, मदनमोहन, कन्नगी, नीतू सिंह, आशीष, रणविजय, सरिता, सौफिया, सुरेन्द्र सिंह, अनीता, सोनी, रामबचन, पंचमुखी, आशा, मधुबाला, श्यामसुन्दर, बिंदु, सीता, सरोजा, कमला, सितारा, मन्जू आदि मौजूद रहे।