प्रथम मुखनिर्मालिका गौरी वासंतिक नवरात्र के पहले दिन मुखनिर्मालिका देवी के दर्शन का विधान है। देवी का विग्रह काशी में गायघाट के हनुमान मंदिर में स्थापित है। बताते हैं कि देवी के निर्मल मुख के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में भी निर्मलता का भाव उत्पन्न होता है। अबकी बार दो अप्रैल को माता मुखनिर्मालिका गौरी का दर्शन-पूजन होगा।
ये भी पढें- जानें वासंतिक नवरात्र कब से शुरू होगा, कौन होगा नव संवत्सर का राजा और मंत्री, क्या होगा वर्षफल... द्वितीय ज्येष्ठा गौरी दर्शन क्रम में दूसरा स्थान ज्येष्ठा गौरी का है। ज्येष्ठा गौरी के दर्शन पूजन से व्यक्ति की समस्त सद्कामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्येष्ठा गौरी के दर्शन-पूजन से व्यक्ति के हृदय में धर्म के प्रति अनुराग बढ़ता है। देवी के इस स्वरूप का मंदिर कर्णघंटा क्षेत्र के सप्तसागर मोहल्ले में है। मां ज्येष्ठा गौरी का दर्शन-पूजन तीन अप्रैल को होगा।
तृतीय सौभाग्य गौरी वासंतिक नवरात्र की तृतीया तिथि पर सौभाग्य गौरी के दर्शन का विधान है। सौभाग्य गौरी का विग्रह विश्वनाथ मंदिर के समीप ज्ञानवापी क्षेत्र के सत्यनारायण मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित है। देवी के इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। कहते हैं 108 दिन लगातार देवी के दर्शन से विशेष मनोरथ अवश्य पूर्ण होता है। इन देवी का दर्शन-पूजन चार अप्रैल को होगा।
चतुर्थ श्रृंगार गौरी
वासंतिक नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर श्रृंगार गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। श्रृंगार गौरी का मंदिर काशी विश्वनाथ धाम स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पृष्ठ भाग में है। मूलत: श्रृंगार गौरी वैभव और सौंदर्य की देवी हैं। देवी के इस स्वरूप का पूजन-दर्शन पांच अप्रैल को होगा।
पंचम विशालाक्षी गौरी गौरी के विशालाक्षी स्वरूप का दर्शन पूजन वासंतिक नवरात्र में पंचमी तिथि पर किया जाता है। देवी का अति प्राचीन मंदिर मीरघाट मोहल्ले में धर्मकूप नामक स्थान के निकट है। मान्यता है कि देवी विशालाक्षी के दर्शन से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। देवी का कमल के पुष्प अति प्रिय हैं। देवी के इस स्वरूप का दर्शन-पूजन छह अप्रैल को होगा।
षष्ठम ललिता गौरी
वासंतिक नवरात्र की षष्ठी तिथि पर ललिता गौरी के दर्शन पूजन का विधान है। ललिता देवी का मंदिर ललिता घाट के निकट है। बताते हैं कि देवी के इस विग्रह के आराधना से व्यक्ति को ललित कलाओं में विशेष उपलब्धि प्राप्त होती है। अडहुल का फूल देवी को विशेष रूप से भाता है। देवी का दर्शन-पूजन सात अप्रैल को होगा।
सप्तम भवानी गौरी वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन भवानी गौरी का दर्शन पूजन किया जाता है। काशी में भवानी गौरी का मंदिर विश्वनाथ गली में अन्नपूर्णा मंदिर के निकट स्थित श्रीराम मंदिर में अवस्थित है। बहुत से लोग इस दिन कालिका गली स्थित कालरात्रि देवी के दर्शन-पूजन भी करते हैं। मां भवानी का दर्शन-पूजन आठ अप्रैल को होगा।
अष्ठम मंगला गौरी
वासंतिक नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मंगला गौरी का दर्शन पूजन किया जाता है। देवी का मंदिर पंचगंगा घाट के निकट स्थिति है। माता रानी का एक अन्य मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर में भी है। कहते हैं देवी की आराधना से व्यक्ति के समस्त प्रकार के अमंगलों का क्षय हो जाता है। माता के इस स्वरूप का पूजन नौ अप्रैल को होगा।
नवम महालक्ष्मी गौरी
वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन नवमी तिथि पर महालक्ष्मी गौरी के दर्शन-पूजन का विधान है। देवी का मंदिर लक्ष्मीकुंड के समीप स्थित है। बताते हैं कि किसी भी नवमी तिथि पर देवी के दर्शन का फल कई गुना बढ़ जाता है। देवी की कृपा होने पर व्यक्ति को धन की कमी नहीं होती। आपका पूजन इस बार 10 अप्रैल को होगा।