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वाराणसी

PM के आगमन से पूर्व BHU से बाहर एम्स निर्माण को नामी गिरामी हस्तियों का समर्थन, देखें तस्वीरों में…

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6 years ago
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पत्र का मजमून भी तैयार किया गया जो इस प्रकार है


महाशय,
सविनय निवेदन यह है कि काशी जो आपकी कर्मभूमि है वही भारतीय संस्कृति की धरोहर भी। इस नगरी को पौराणिक काल से आज तक पूरी दुनिया इसे "धार्मिक राजधानी" के रूप में जानती है उससे कहीं ज्यादा इसको "स्वास्थ्य तकनीक की उत्पत्ति के केंद्र" के रूप में जानती है। एक ओर, भगवान धनवंतरि ने जहां समुद्र मंथन के बाद विषपान के दुष्प्रभाव से भगवान शंकर जी के प्राणों की रक्षा कर मेडिकल पद्धति की शुरुआत की, तो वहीं दूसरी ओर, उनके हीं वंशज काशीराज देवदास जी ने ईसा से लगभग 1000 वर्ष पूर्व इसी काशी में पहली बार "शल्य चिकित्सा" के रूप में एक नई और उन्नत पद्धति की खोज की, जो बालों को भी विभाजित कर सकती थी। उन्होंने हीं विश्व का शल्य चिकित्सा का पहला विश्वविद्यालय भी यहीं बनवाया था जहां आकर पूरी दुनियां के लोगों ने इस विधा में दक्षता हासिल की। लेकिन बड़े दुख की बात है कि इतिहास के ऐसी विरासतों को संजोने वाली काशी हीं आज अपने यहां के लोगों को समुचित इलाज मुहैया कराने में असमर्थ है, जिसकी वजह से रोज यहां के हज़ारों लोगों को अपने समुचित इलाज के लिए अन्य शहरों में जाकर दर-दर भटकना पड़ रहा है।

 

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हाल यह है कि मानकों की अनदेखी करते हुए 927 बेडों वाले इस अस्पताल में इधर-उधर कुछ विस्तर लगाकर प्रशासन द्वारा बेड बढ़ाने की हाल के दिनों में कुछ कोशिशें जरूर की गई, लेकिन मानकों के अनुरूप नहीं होने के कारण उस अनुपात में डॉक्टरों और कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ पाई, जिससे भर्ती मरीजों को अपेक्षित सेवा नहीं मिल पाती हैं। तीन सौ बेड के आईसीयू की आवश्यकता वाले इस अस्पताल में आज कुल मिलाकर मुश्किल से 30 बेड हीं आईसीयू के होंगे। ओपीडी की हालत भी कुछ ऐसी हीं है, जहां रोज लगभग 5000 से 7000 मरीज अपने इलाज को आते हैं परंतु चिकिसकों के अभाव के कारण उन्हें घंटो लाइनों में खड़े रहना पड़ता है। ज्यादा मरीज होने की वजह से चिकिसक ज्यादातर मरीजों को एक मिनट से भी कम समय दे पाते हैं जबकि मानकों के मुताबिक हर मरीज को उन्हें कम से कम 10 मिनट का समय देना चाहिए।

बनारस में जाम की स्थिति इतनी भयावह है कि कई गंभीर रूप से बीमार मरीज तो आज शहर के जामों में फंसकर बीएचयू अस्पताल पहुंचने से पहले हीं दम तोड़ देते हैं। जाम की समस्या न सिर्फ मरीजों के लिए सिरदर्द बना हुआ है, बल्कि इससे तो आम काशीवासी भी काफी त्रस्त हैं। ऐेस में बीएचयू अस्पताल के लिए आपके द्वारा किये गए प्रयास तो सराहनीय हैं लेकिन उसे एम्स के तौर पर विकसित करना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में ऊपर की सभी बातों के गहन विश्लेषण से यह प्रतीत होता है कि काशीं में एक 2000 बिस्तरों वाले सम्पूर्ण एम्स की आवश्यकता है जिसे BHU से अलग शहर के बाहर बनाया जाना चाहिए, ताकि स्थानीय मरीजों को अपने शहर में समुचित इलाज मिल सके और बिस्तरों की कमी से उसे जिला अस्पताल में भेजने के बदले नव निर्मित एम्स में बेहतर इलाज के लिए भेजा जा सके और काशीवासियों को जाम से मिले मुक्ति।

 

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काशी में आज इलाज के नाम पर ले-देकर सिर्फ, भाई-भतीजों से भरी खानदानी चिकिसकों की फौजों वाला एक अस्पताल है जिसे आप सर सुंदर लाल अस्पताल के नाम से जानते हैं। बीएचयू का यह अस्पताल महामना के आदर्शों को दीमकों की तरह खोखला कर अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। यहां सुपरस्पेशलिटी क्या सामान्य विभागों में भी विश्व स्तरीय इलाज संभव नहीं है। अस्पताल की बहुमंजिली इमारतें भी बार-बार के तोड़फोड़ से आज इतनी खोखली हो गई है की यह कभी भी गिर सकती हैं। यहां विस्तरों की इतनी मारामारी है कि अस्पताल के कर्मचारियों तक को आईसीयू में बिस्तर नहीं मिल पाता है जिससे समुचित इलाज के अभाव में उनकी मृत्यु हो जाती है तो भला आमलोगों की क्या बात की जाए?

नया एम्स कहां बने इसके लिए कई विकल्प हो सकते हैं जैसे कि रामनगर बायपास रोड के किनारे, बाबतपुर एयरपोर्ट के पास अथवा अदलपुरा सब्जी केंद्र या शहंशाहपुर फार्म हाउस की सैकड़ों एकड़ खाली पड़ी जमीन पर। इन सबमें सबसे बेहतर विकल्प "अदलपुरा अथवा शहंशाहपुर" वाला लगता है क्योंकि एक तो यह शहर से बाहर है, दूसरा गंगा पर नए पुल के निर्माण के बाद वहां मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड से आने वाले लोगों को सहूलियत होगी तथा सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसके लिए भूमि अधिग्रहण की कोई जरूरत भी नहीं होगी। ये दोनों ही जगह आपके गोद लिए गांव जयपुर के भी बिल्कुल पास है जिससे आसपास के गांव के लोगों को न सिर्फ नया रोजगार मिलेगा बल्कि वहां एक नया शहर भी बस जाएगा जिससे उनकी गरीबी दूर होगी।

 

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पिछले चुनाव के वक्त आपकी पार्टी ने सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश को 6 नए एम्स देने का जो वादा किया था वह भी इससे पूरा हो जाएगा, जिससे आपको अगले आम चुनाव में आसपास की कई सीटें जीतने में मददगार होगी। ऐसा नहीं करने से विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल जाएगा कि गोरखपुर को एम्स सहित 3 सरकारी अस्पताल, पटना को 3 मेडिकल कॉलेज और एक एम्स होने के बाद भी आपने एक और एम्स देने की बात कही है। जम्मू-कश्मीर जैसे छोटे से राज्य में आपने 2 एम्स दिया है तो फिर अपने संसदीय काशी में बीएचयू जैसे जड़ हो चुके अस्पताल की सिर्फ कुछ सुविधाएं बढ़कर आप इसे अपने द्वारा घोषित "स्वास्थ्य का हब" कैसे बनाएंगे, खासकर तब जबकि इस देश में बनने वाले सभी एम्स आपके अपने अधीन फंड ( प्रधानमंत्री स्वस्थ सुरक्षा योजना) के तहत हीं बनाये जा रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां एम्स बनने से न सिर्फ भारतीय संस्कृति और भगवान धन्वंतरि, देवदास, सुश्रुत, महामना और चरक जी का सम्मान होगा बल्कि इस आसपास के लोगों की सामाजिक और आर्थिक बदहाली भी दूर होगी तथा आपको अगले चुनाव में राजनैतिक लाभ मिलने के साथ हीं आप भी महमना कि भांति इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएंगे।

 

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इन्होंने रखे विचार

इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथाकार प्रो काशी नाथ सिंह, आलोचक और चिंतक प्रो चौथीराम यादव, इंडस्ट्रियलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर के चौधरी, दलित चिंतक एम पी अहिरवार, बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनूप कमार श्रीवास्तव तथा संजय श्रीवास्तव एडवोकेट, सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री संजय सिंह डाढ़ी, राजस्व बार एसोसिएशन के वर्तमान महामंत्री कमलेंद्र सिंह, पूर्व अध्यक्ष,तहसील बार एसोसिएशन राजातालाब सुनील सिंह, बीसीसीआई मेंबर राकेश मल्होत्रा, खेल अधिकारी तथा अंतर्राष्ट्रीय एथलीट बहादुर प्रसाद, चार्टेड एसोसिएशन मेंबर बृजेश अस्थाना, कल्चरल एक्टिविटी एंकर तथा कलाकार प्रतिमा सिन्हा, रंगकर्मी प्रिया जी, रंगकर्मी सलीम रजा, समाजसेवी नासिर जमाल, मेंबर प्राइवेट ईटीई एसोसिएशन अजीत मिश्रा, नंदन ईटीई के प्रधानाचार्य बृजेश कुमार श्रीवास्तव, तथा समाजसेवी अधिवक्ता आलोक सिंह, धीरज मिश्रा, राकेश मिश्रा तथा पीयूष श्रीवास्तव आदि प्रमुख रहे।

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