मिर्जापुर का नाम विंध्य धाम करने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा जा चुका है । भाजपा विधायक रत्नाकर मिश्र ने सीएम से इस संबंध में जल्द निर्णय लाने का आग्रह भी किया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि सीएम योगी फैजाबाद का नाम अयोध्या करने के बाद अब मिर्जापुर का नाम विंध्य धाम करने का एलान जल्द ही कर सकते हैं।
मिर्जापुर का नाम बदलने के पीछे भी एक तर्क दिया जा रहा है कि प्राचीन मिर्ज़ापुर नाम मुगलों और अग्रेजों के समय रखा गया था, जबकि जिले की पहचान विश्व पसिद्ध मां विंध्यवासनी देवी के मंदिर से ही ज्यादा होती है। इस लिए इसका नाम बदल कर विंध्य धाम या विंध्याचल कर की बात की जा रही है।
मिर्जापुर का इतिहास:
जिले के नाम को लेकर पहले से ही विवाद रहा है। यह इकलौता जिला है जो आज भी यह दो नामों से जाना जाता है। सरकारी अभिलेखों में जिले का नाम मीरजापुर मिलता है। मगर रेलवे स्टेशन व कुछ जगह इसका नाम मिर्ज़ापुर मिलता है। समय समय पर सामाजिक संगठनों द्वारा जिले के नाम को सही कर मीरजापुर करने कि मांग की जाती रही है। मगर आज भी यह बदलाव नही हो पाया है। दरअसल नाम को लेकर भ्रम प्राचीन अभिलेखों से भी होता है। पुराणों के अनुसार विंध्य पर्वत कि तलहटी में बसे इलाके को गीराजापुर के नाम से जाना जाता है। गीर का अर्थ होता है पर्वत कि नगरी से। बाद के समय मे यह मीरजापुर हो गया। जिसका अर्थ लक्ष्मी कि नगरी से होता है। बीच मे छठी ईवी में कंतित नरेश के कारण इसे कंतितपुर के नाम से भी जाना जाता रहा है ।कहते है मुगल के समय इसका नाम मीरजापुर से मिर्ज़ापुर हो गया। जो आगे चल कर 17वीं ई में अग्रेजों के सरकारी गलेटियर में भी इसे मिर्ज़ापुर के नाम से ही दर्ज किया गया है। तभी से इस नाम को लेकर विवाद चला आ रहा है।
जिले के नाम को लेकर पहले से ही विवाद रहा है। यह इकलौता जिला है जो आज भी यह दो नामों से जाना जाता है। सरकारी अभिलेखों में जिले का नाम मीरजापुर मिलता है। मगर रेलवे स्टेशन व कुछ जगह इसका नाम मिर्ज़ापुर मिलता है। समय समय पर सामाजिक संगठनों द्वारा जिले के नाम को सही कर मीरजापुर करने कि मांग की जाती रही है। मगर आज भी यह बदलाव नही हो पाया है। दरअसल नाम को लेकर भ्रम प्राचीन अभिलेखों से भी होता है। पुराणों के अनुसार विंध्य पर्वत कि तलहटी में बसे इलाके को गीराजापुर के नाम से जाना जाता है। गीर का अर्थ होता है पर्वत कि नगरी से। बाद के समय मे यह मीरजापुर हो गया। जिसका अर्थ लक्ष्मी कि नगरी से होता है। बीच मे छठी ईवी में कंतित नरेश के कारण इसे कंतितपुर के नाम से भी जाना जाता रहा है ।कहते है मुगल के समय इसका नाम मीरजापुर से मिर्ज़ापुर हो गया। जो आगे चल कर 17वीं ई में अग्रेजों के सरकारी गलेटियर में भी इसे मिर्ज़ापुर के नाम से ही दर्ज किया गया है। तभी से इस नाम को लेकर विवाद चला आ रहा है।
इनपुट- सुरेश सिंह