बता दें कि सत्ता हासिल करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले छुट्टियों पर कैंची चलाई थी। कहा गया था कि किसी की जयंती आदि पर स्कूलों को बंद करने का कोई औचित्य नहीं है। बल्कि उस दिन स्कूल खोल कर संबंधित महापुरुषों को स्मरण किया जाना चाहिए। वैसे इस तरह का फैसला पूर्व शिक्षा मंत्री रहे ओम प्रकाश सिंह ने लिया था। लेकिन तब उसे कड़ाई के साथ लागू भी किया गया था। महापुरुषों की जयंती के दिन स्कूल खुलते रहे और महापुरुषों को स्मरण किया जाता रहा। छात्रों को उनके कृतित्व व व्यक्तित्व की जानकारी दी जाती रही। यह दीगर है कि भाजपा नेता ओम प्रकाश सिंह से शिक्षा विभाग छिनने के बाद या यूं कहें कि सत्ता परिवर्तन के बाद परिस्थितियां बदल गईं। अखिलेश सरकार ने तो कई छुट्टियां लागू कर दी थीं। इसी में बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर की जयंती की छुट्टी भी प्रमुख थी। तब भी कुछ लोगों ने यह सवाल उठाया था कि कर्पूरी ठाकुर जयंती पर उत्तर प्रदेश में अवकाश का क्या मतलब। लेकिन तब यह कहा जाने लगा था कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के लालू यादव के रिश्तों को देखते हुए यह अवकाश लागू किया गया है।
लेकिन अब राजनितिक हल्कों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि जातीय वोट बैंक की खातिर ये छुट्टियां फिर से बहाल की गईं हैं। बीजेपी वैसे भी पिछड़ी जातियों पर कुछ ज्यादा ही दांव लगा रही है। पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी करके ही बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव में भारी फतह हासिल की। वैसे भी पीएन नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी का सारा जोर पिछड़ों को अपने पाले में लाने पर ही है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि परिषद के नियंत्रण वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों मे 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर जयंती और 31 जनवरी को संत रविदास जयंती का अवकाश रहेगा। परिषद सचिव का यह आदेश जिला सूचना विभाग की ओर से जारी किया गया है।