Abhishek Srivastava@Varanasi अपनी फायर ब्रांड छवि के कारण वह अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। प्रदेश ही नहीं देश में उनको बीजेपी सीएम कैंडिडेट के लिए सोशल पर एेसी कैंपेन चली जिसने बीजेपी के अच्छे-अच्छे धुरंधरों को पानी पिला दिया। फिर अचानक राजनाथ का बम दिल्ली से फूटता है और यूपी की सियासय में भूचाल आ जाता है। राजनाथ के विरोध में बयानबाजी शुरू हो जाती है। योगी के कट्टर समर्थक कहे जाने वाले रमाकांत मीडिया के सामने आते हैं और अपनी ही पार्टी के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हैं, लेकिन वह जब भड़ास निकाल रहे होते हैं तो उसी समय गोरखपुर में हिंदुवादी संगठनों की अहम बैठक होती है, चर्चा हिंदुओं की रक्षा से शुरू होती है और खत्म योगी को सर्वमान्य नेता के रूप में प्रोजक्ट कर खत्म होती है। इन सब के पीछे एक चेहरा जिसके लिए यह सबकुछ हुआ, वह खामोश दिखता है। योगी न तो खुद कुछ कहते हैं और नही कुरेदने पर बोलने के लिए तैयार होते हैं। योगी सिर्फ इतना ही कहते हैं कि वह पार्टी के साथ खड़े हैं। पार्टी जो तय करेगी सीएम कैंडिडेट के लिए वह सर्वमान्य होगा। लेकिन उनकी इस बात में न वह तेवर था… नही साफगोई। साफ था बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में कुछ न कुछ तो होने वाला है। अचानक पूर्वांचल की राजनीतिक हवा इतनी गर्म होने के पीछे एक गहरा राज छिपा है। दरअसल, यूपी की राजनीति में बीजेपी में सीएम कैंडिडेट को लेकर जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। केंद्रीय नेतृत्व यूपी में मोदी के पैरलल किसी को खड़ा नहीं होने देना चाहता है। सोशल पर सबकी पसंद रहने वाले योगी को बैकफुट पर भेजे जाने की लगातार कोशिश हो रही है, जिसका असर विरोध में उठने वाले आवाजों से आसानी से देखने को मिल जा रहा है। हालांकि इन सब के बीच अक्सर बयान देने वाले योगी खामोश हैं। बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो योगी संसदीय बोर्ड की अहम बैठक का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें सीएम कैंडिडेट पर अंतिम मुहर लगेगी। जो तेवर उनके समर्थकों ने दिखाए वह हाईकमान को बताने के लिए काफी है कि अगर योगी को सीएम कैंडिडेट प्रोजक्ट नहीं किया गया तो पार्टी के लिए यह अच्छा नहीं होगा। बहरहाल, इसके अलावा अब जिलेवाल भी योगी के लिए लॉबिंग शुरू हो चुकी है। योगी खेमा कहीं से भी पीछे नहीं जाना चाहता, लेकिन योगी खुद फ्रंट फूट पर आने से अभी बच रहे हैं। अब आगे देखना है कि क्या योगी की यह खामोशी कुछ नया गुल खिलाएगी? भाजपा के रणनीतिकार भी इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि यूपी को लेकर केंद्र जबरदस्त दबाव में है, एक तरफ राजपूतों की लॉबिंग राजनाथ के पक्ष में तो दूसरी तरफ योगी खेमे का दबाव। बीजेपी कार्यसमिति की इलाहाबाद में शुरू होने वाली बैठक में बहुत हद तक इन सवालों का जवाब मिल जाएगा। अब बीजेपी कार्यकर्ताओं को 13 जून का इंतजार है, जब कार्यसमिति की बैठक खत्म होगी और उसमें लिए गए फैसलों की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।