युवा अधिकार मार्च बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ शोर नहीं बल्कि एक चेतावनी हैं। युवाओं ने निकाला विरोध मार्च, अब 07 को दिल्ली में संसद मार्च।
Youth protest march in Benares against central government policies
वाराणसी. देश भर का छात्र- युवा शिक्षा और रोजगार के सवाल को लेकर 07 फरवरी को लाल क़िले से संसद मार्च कर के सत्तारुद्ध दलों को चेतावनी देने जा रहा है कि अब “जुमले नहीं, जॉब चाहिए”। देशभर के युवाओं में एक निराशा की लहर दौड़ रही है और अब वो त्रस्त हो चुका है बढ़ती बेरोज़गारी, फ़ंड कट, घटती हुई सीटों और शिक्षा के गुणवत्ता में आ रही भारी गिरावट से। वर्तमान सत्ता ने इन संकटों को और गहरा कर दिया है और अंतरिम बजट में युवाओं से जुड़े इन मुद्दों को ना जोड़कर अपना युवा विरोधी रूख स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में बनारस में मंगलवार की शाम ऐसे शिक्षित युवाओं से पट गई जब बीएचयू सिंह द्वार से निकला विरोध मार्च। इस विरोध मार्च में युवाओं ने हाथों में तख्तियां ले ऱखी थीं जिन पर तरह-तरह के नारे लिखे थे। सरकारी नीतियों से खफा इन युवाओं का जोश देखते ही बन रहा था। इस विरोध मार्च में हर वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी की।
ज़्यादातर युवाओं का सपना होता है कि पढ़ लिखकर एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए ताकि अपने घर परिवार को अच्छे दिन और ख़ुशहाल जीवन दे सकें। अब युवा अपने माता-पिता के अरमानों को पूरा करना और देश के विकास में योगदान देना चाहता हैं लेकिन अवसरों की कमी और चयन प्रक्रिया में धांधली का शिकार हो रहे हैं। सिस्टम और सरकार की नाकामी के कारण युवा असफ़ल रहे। एक नौकरी के युवा को आंदोलन से लेकर अदालत तक तरह-तरह का संघर्ष करना पड़ रहा हैं। भ्रष्ट लोग आगे निकल जा रहे हैं और ईमानदार छात्र सिस्टम की मार झेलकर पीछे रह जा रहा है। आज मेहनत या मेरिट की बजाए पैसे और पैरवी से नौकरी मिल रही है। ये आरोप हैं उन युवाओं के जिन्होंने मंगलवार को केद्र सरकार के खिलाफ बीएचयू सिंह द्वार से निकाला विरोध मार्च।
इन युवाओं का कहना था कि आज की कड़वी सच्चाई ये है कि एसएससी, यूपीएससी, रेलवे भर्ती, शिक्षक, सिपाही भर्ती से लेकर अलग-अलग राज्यों के चयन आयोगों तक हर जगह बेरोज़गार युवाओं को छला जा रहा है। सरकारी विभागों में ही कम से कम 24,00,000 पद खाली पड़े हैं। लेकिन नौकरियां निकालने की बजाए सरकार पदों को ख़त्म कर रही है। नौकरी का विज्ञापन आ भी जाए तो परीक्षा करवाने में ही सालों साल लगा दिए जाते हैं। अगर परीक्षा हो तो पेपर लीक की घटनाएं तो जैसे आम हो गई हैं। लगभग हर भर्ती परीक्षा में छात्रों को नेताओं, अफ़सरों, मीडियावालों और वकीलों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। क़िस्मत से परीक्षा होकर यदि परिणाम आ जाए तो फिर नियुक्ति देने में भी बेमतलब देरी की जाती है। और इतना कुछ होने के बाद युवा अगर लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करे तो यह असंवेदनशील सरकार न सुनती है न संवाद करती है। अगर कुछ करती भी है तो जॉब मांगने वालों को लाठी डंडे और तरह तरह के जुमले देती है। सिस्टम के इसी रवैय्ये से पीड़ित युवाओं द्वारा अब आत्महत्या की दुखद ख़बरें भी आने लगी हैं।
उऩ्होंने कहा, ऐसे में युवा अधिकार मार्च बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ शोर नहीं बल्कि एक चेतावनी हैं। हम बनारस के युवा 07 फ़रवरी को होने वाले ऐतिहासिक मार्च के समर्थन में अपनी निम्न मांगो के साथ बनारस से आवाज़ बुलंद करेंगे।
युवाओं की मांगे 1- सारी रिक्त पड़ी नियुक्तिया भरी जाएँ और पेपर लीक और नियुक्तियों में हो रहे घोटाले पर तत्काल रोक लगे। 2- बजट का 10% शिक्षा पर ख़र्च हो। प्राथमिक और सरकारी विद्यालयों को बंद करने, सीट काम करने, ऑटानमी के नाम पर फ़ीस वृद्धि, फ़ंड कट, और उच्य शिक्षा और शिक्षण संस्थानो पर आरक्षण ख़त्म करने वाले प्रविधानों पर तत्काल रोक लगे। 3-शिक्षण संस्थानो में लैंगिक असमानता वाले सारे नियमों पर रोक लगे और प्रभावकारी सेक्शूअल हरैस्मेंट सेल स्थापित हो
युवाओं ने अपने हक के लिए पूरे समाज का समर्थन मांगा, कहा युवा समाज का ही तो हिस्सा है। हर युवा किसी मां का दुलारा है, हर पिता की आंख का तारा है। बुढ़ापे की लाठी है। ऐसे में समाज के समर्थन के बिना लड़ाई अधूरी है। निवेदन है की राष्ट्रनिर्माण और युवाओं के भविष्य निर्माण की इस मुहिम का हिस्सा बनें और हमारी आवाज़ को अपना समर्थन खुल कर दें।
मार्च में ज्वाइंट एक्शन कमिटी-बीएचयू,आइसा, एआईएसएफ, सीवाईएसएस, समाजवादी छात्र सभा, बीसीएम, यूथ फॉर स्वराज,समता पार्टी, एसी-एसटी ओबीसी मोर्चा, लंका रेहड़ी पटरी व्यवसाय कल्याण संघ, मनरेगा मजदूर यूनियन, निषादराज सेवा समिति एवं बनारस के युवा एवम् छात्र समुदाय उपस्थित रहे।