नागौर. ग्रामीण क्षेत्रों में भटकते छुट्टा नंदियों के लिए सरकार ने नंदीशाला तो खोली, लेकिन इनका अनुदान गोवंश यानि की गायों को दिए जाने वाले अनुदान के बराबर कर दिया गया। जबकि नंदी न केवल आकार-प्रकार में गायों से दोगुने हेाते हैं, बल्कि इनकी खुराक भी ज्यादा होती है। इसी वजह से जिले में पशु पालन विभाग के तमाम प्रयासों के बाद अब तक फिलहाल पंचायत समिति स्तरीय केवल एक नंदीशाला का ही संचालन शुरू हो सका है। इसके संचालक का भी मानना है कि सरकार को नंदियों की खुराक के हिसाब से इनका अनुदान गायों की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा करना चाहिए। अनुदान कम मिलने के चलते जिले की इकलौती पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला के संचालक भामाशाहों के सहयोग से काम चला रहे हैं।
जिले में केवल एक पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला
राजस्थान सरकार ने साल 2019-20 के परिवर्तित बजट में प्रत्येक पंचायत समिति पर नंदीशाला खोलने की घोषणा की थी। प्रदेश में 352 पंचायत समिति और 11,283 ग्राम पंचायत हैं। इसी के तहत पशु पालन विभाग की ओर से पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला खोले जाने की कवायद शुरू की गई। तमाम प्रयासों के बाद भी जिले की नागौर पंचायत समिति की पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला ग्राम पंचायत भदवासी में ही संचालन शुरू हो सका,जबकि अन्य पंचायत समितियों में खींवसर, जायल, रिया एवं मेड़ता आदि में अब तक नंदीशाला नहीं खुल पाई। इस संबंध में पड़ताल की गई तो पता चला कि नंदीशाला का संचालन करने के इच्छुकों की संख्या कम नहीं है, लेकिन सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान राशि के चलते उनकी दिलचस्पी अब इसमें नहीं रही। यही वजह रही अब तक जिले में पंचायत समिति स्तरीय केवल एक नंदीशाला ही संचालित हो रही है।
यह मिलती है अनुदान राशि
नंदीशाला में एक वर्ष में कम से कम 250 नर गायों का संरक्षण करना आवश्यक होता है। इसके रखरखाव के लिए सहायता की राशि 9 महीने के लिए निधि नियमों के अनुसार देय होती है। नंदीशाला में 3 साल तक के बैलों को 20 रुपये और 3 साल से ऊपर के बैलों को 40 रुपये प्रतिदिन की दर से चारा देय है। हालांकि भदवासी में खुली पंचायत समिति स्तरीय नंदीशाला में लगभग पांच सौ नंदी हैं। प्रति व्यस्क नंदी 40 एवं शिशु वर्ग नंदी के लिए निर्धारित रूप से 20 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिल रहे हैं।
व्यस्क नंदी के लिए 151 रुपए होने चाहिए
नंदीशाला संचालक रामजीवन सांखला का कहना है कि नंदियों की खुराक गायों की अपेक्षा तीन गुनी होने के बाद भी अनुदान राशि गायों की तर्ज पर देना गलत है। इसका फिर से आंकलन विशेषज्ञों से कराकर अनुदान राशि स्वीकृत करनी चाहिए। व्यस्क नंदी के लिए 151 रुपए और शिशु वर्ग नंदी के लिए 75 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाने चाहिए। सांखला ने कहा कि अनुदान की प्रथम किस्त 25 लाख रुपए के तौर पर कुछ माह पूर्व मिली थी, लेकिन यह राशि भी समाप्त हो चुकी है। फिलहाल नंदियों को पर्याप्त खुराक देने के लिए भामाशाहों के माध्यम से राशि प्राप्त कर काम चलाया जा रहा है। भामाशाहों से मिलने वाली राशि सरकार से प्राप्त अनुदान राशि से चार से पांच गुना ज्यादा होती है। इसी से काम भी चलता है, नहीं तो अनुदान के भरोसे नंदीशाला का संचालन नहीं किया जा सकता है।
इनका कहना है…
अनुदान राशि का निर्धारण उच्च स्तर पर होता है। विभाग का प्रयास रहता है कि नंदीशाला संचालन के लिए देय अनुदान राशि यथासमय संचालक को मिल जाए। इसके लिए विभाग प्रयासरत रहता है।
डॉ. महेश कुमार मीणा, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग नागौर