नागौर. संत लिखमीदास महाराज स्मारक विकास संस्थान अमरपुरा के तत्वावधान में चल रहे पाटोत्सव के उपलक्ष्य में भागवत कथा में प्रवचन करते हुए दूसरे दिन शुक्रवार को संत गोवर्धनदास महाराज ने कहा कि रामायण व महाभारत ग्रंथ का उदाहरण देते हुए दोनों युगों के वातावरण का अंतर बताते हुए कहा कि मां सीता के अपहरण के समय आश्रम में कोई नहीं था ,लेकिन पक्षी जटायु ने रावण का वीरता पूर्वक सामना किया। हमारी सनातन संस्कृति बहुत ही उदात्त व श्रेष्ठ है। प्रत्येक प्राणी मात्र पर दया करना उसका वैशिष्ट्य है। चींटी को दाना व पक्षियों को चुग्गा डालना यहां की त्यागमयी व दयालु संस्कृति की विशेषता को ही बताता है। उन्होंने कहा कि धर्म व संस्कृति के ऊपर आंच आने लगती है तो एक सामान्य सनातनी को भी उसका प्रबलता से मुकाबला करना चाहिए। द्वापर युग में द्रोपदी के चीरहरण के समय पूरा परिवार इस घटना का था, लेकिन किसी न किसी मजबूरी, प्रतिज्ञा या अन्य कारण से लाचार हो गए। धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए किया गया बलिदान धर्म विरुद्ध नहीं होता है, बल्कि पुण्यकारक ही होता है। मृत्यु स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए होती है। कथा में उन्होंने राजा परीक्षित के कार्य, महाभारत के भीष्म पितामह के स्वर्गवास सहित अनेक प्रेरक प्रसंग का विवेचन किया। इससे पूर्व द्वितीय दिवस के यज्ञ विधि विधान में मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में समिधा की आहुति दी गई। रात्रि में हुए नानीबाई का मायरा में उन्होंने नरसी भगत के बाल्यकाल से संबंधित अनेक प्रेरणादायी प्रसंगों का काव्यात्मक व भजनों के माध्यम से विवेचन किया। उन्होंने कहा कि भक्त नरसीजी ने द्वारकाधीश पर अटूट विश्वास तथा पूर्ण तन्नमयता के साथ भक्ति करके अपने जीवन में 50 से अधिक बार श्रीकृष्ण के साक्षात दर्शन किए। इस दौरान इस अवसर पर भंवरलाल भाटी, रुद्र कुमार शर्मा, हनुमान सिंह देवड़ा, राधाकिशन तंवर, कृपाराम गहलोत, डॉ शंकर लाल परिहार आदि मौजूद थे।
एक को होगा प्रतिभा सम्मान समारोह
पाटोत्सव में रविवार को राजस्थान सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत के आतिथ्य में माली सैनी समाज का राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह होगा। इस मौके पर मेधावियों को सम्मानित किया जाएगा।