
आनंदपुर क्षेत्र में आनंदपुर, बनारसी पंचायत के हरिपुर, महोटी, कालादेव, उनारसी के राघौगढ़, पठेरा पंचायत के अमाई में गो शालाओं का निर्माण होना था, जिसमे से आनंदपुर और पठेरा की गोशाला वर्तमान में संचालित है जिनमें से आनंदपुर में 80 मवेशी और पठेरा के अमाई गोशाला में 154 मवेशी हैं। पठेरा पंचायत के सचिव रघुवीर सिंह ने बताया कि पठेरा की गोशाला नवंबर 2021 से चालू है जिसमें वर्तमान में 154 मवेशी है पर अभी तक चारे भूसे के लिए निजी राशि से व्यवस्था करना पड़ रहा है जिससे काफी परेशानी आ रही है। जनपद सीइओ अजय वर्मा का कहना है कि 6 गोशाला पूरी तहसील में वर्तमान में संचालित हो रही हैं, इनमें उनारसी, मुरारिया, शहरखेड़ा गोशाला चालू हैं, जबकि स्थानीय लोंगों का आरोप है कि ये गोशाला सिर्फ कागजों में ही चल रहीं होगीं यहाँ तो अभी तक शुरू नहीं हुई हैं।
बनारसी सरपंच रवि राजपूत, कालादेव सरपंच भानू शर्मा ने बताया कि हमारी गोशालाएं बनकर तैयार हैं, लेकिन चारे की व्यवस्था नहीं होने से अभी तक मवेशी नहीं रखे जा सके हैं। महोटी की गोशाला अभी भी अधूरी है। इन गोशालाओं को 2019 में स्वीकृति मिली थी और 3 वर्ष होने को हैं पर सरकार के रवैये और स्थानीय प्रशासन की अनदेखी से इन गोशालाओं का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। जनपद से मिली जानकारी के अनुसार इनके संचालन के लिए एक मवेशी का एक दिन का खर्च 20 रुपए के हिसाब से होना है। किसान दिनेश शर्मा, रंजीत यादव उनारसी, शुभम शर्मा कालादेव, महेश शर्मा गोलाखेड़ा, नबल ङ्क्षसह बापचा, गोवर्धन जादौन लालाटोरा, जीवन रघुवंशी सतपाड़ा आदि का कहना है कि 2 वर्ष में हर गांव में आवारा मवेशी की संख्या बढी है और दो वर्षों से बन रहीं गोशालाएं अभी भी कहीं अधूरी तो कहीं बनकर तैयार हैं तो चालू नहीं हुईं। कहीं प्रशासन कह देता है चल रहीं हैं पर मौके पर मवेशी नहीं रखते। मवेशी की समस्या बनी हुई है किसानों को अपनी फसल को बचाने के लिए अभी भी खेतों पर रखवाली करना पड़ रहा है। कांग्रेस नेता मनोज जैन का कहना है कि सरकार के सुस्त रवैये के कारण किसान परेशान हो रहे हैं, मवेशी फसल खा रहे हैं और गो शालाएं कागजों पर चल रही हैं। भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष बबलू रघुवंशी का कहना है कि हमारी सरकार ने गो शालाएं बनाईं हैं, कुछ का कार्य शेष है वह भी शीघ्र चालू होंगी।
13 में से 6 गो शालाएं अभी संचालित हैं
क्षेत्र में 13 में से 6 गो शालाएं अभी संचालित हैं। शेष गोशालाएं भी फसल के कटते ही चारे-भूसे का इंतजाम होने के साथ ही शुरू हो जाएंगी। शासन से इनके संचालन के लिये राशि भी आना शुरू हो गई है। -अजय वर्मा, सीइओ जनपद पंचायत लटेरी