scriptजिले के 1400 किसानों का नहीं हुआ भुगतान | 1400 farmers of the district did not pay | Patrika News

जिले के 1400 किसानों का नहीं हुआ भुगतान

locationविदिशाPublished: Aug 08, 2018 09:41:07 am

सरकार को अनाज बेचने वाले किसानों का 17 करोड़ का भुगतान अटका, जिले के 61 हजार से ज्यादा किसानों ने सरकार को समर्थन मूल्य पर अपना चना, मसूर और सरसों अप्रेल, मई और जून माह में बेचा था। जिले में इन तीनों फसलों की 18 लाख 41 हजार 520 क्विंटल खरीदी हुई थी, जिसकी कीमत 805 करोड़ 83 लाख रुपए थी। इसमें से धीरे-धीरे 788 करोड़ 34 लाख रुपए का तो भुगतान हो गया, लेकिन करीब 1400 किसानों कों अपनी उपज बेंचने के बाद एक रुपए भी नहीं मिल सका।

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विदिशा. किसानों को उपज का सही दाम दिलाने के लिए सरकार ने उनके चना, मसूर और सरसों की भी खरीदी की। लेकिन जिले के करीब 1400 किसानों को अपनी उपज सरकार को बेचने के डेढ़ माह बाद भी एक रुपए नहीं मिल सका है। अब न उनके पास अनाज है और न रुपए। ऐसे में उनके सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन की गलतियों की सजा किसानों को भुगतना पड़ रही है।
जिले के 61 हजार से ज्यादा किसानों ने सरकार को समर्थन मूल्य पर अपना चना, मसूर और सरसों अप्रेल, मई और जून माह में बेचा था। जिले में इन तीनों फसलों की 18 लाख 41 हजार 520 क्विंटल खरीदी हुई थी, जिसकी कीमत 805 करोड़ 83 लाख रुपए थी। इसमें से धीरे-धीरे 788 करोड़ 34 लाख रुपए का तो भुगतान हो गया, लेकिन करीब 1400 किसानों कों अपनी उपज बेंचने के बाद एक रुपए भी नहीं मिल सका। जिले में ऐसे किसानों का करीब 17 करोड़ रुपए का भुगतान अभी भी अटका हुआ है, जबकि अंतिम खरीदी 20 जून तक पूरी हो चुकी थी।
भुगतान में कहां हुई गफलत
किसानों की उपज खरीदी के बाद उसके भुगतान का जिम्मा नागरिक आपूर्ति निगम का है। अनाज खरीदी के बाद निगम स्वीकृति पत्रक जारी करता है और वेयर हाउस में जमा होने के बाद किसान को उसका भुगतान कर दिया जाता है। यह सब ऑनलाइन होता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक निगम के अमले के पास अनाज जमा करने का रिकार्ड अधूरा है। उसने अनाज जमा करने का आंकड़ा ऑनलाइन दर्ज नहीं किया, जिससे यह गफलत हुई। उसके पास जो आंकड़ा दर्ज है, उसके अनुसार वह भुगतान कर चुका है, लेकिन वह आंकड़ा अधूरा है, और कई किसान अभी भी भुगतान से वंचित हैं।
शार्टेज की जिम्मेदारी समिति और परिवहन कर्ता की
किसान से खरीदे गए अनाज में खरीदी के बाद किन्हीं कारणों से भी कमी आती है तो उसकी जिम्मेदारीभी तय कर दी गई है। खरीदी केन्द्र पर यदि अनाज में कमी सामने आती है तो इसकी जिम्मेदारी खरीदी कर रही संस्था की होगी और उसे ही उस राशि की पूर्ति करना होगी। जबकि परिवहन के दौरान यदि अनाज में कमी सामने आती है तो उसे परिवहनकर्ता से वसूला जाएगा।
कलेक्टर ने दिए हैं आदेश
किसानों का लंबित भुगतान देख कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक, वेयर हाउसिंग कार्पाेरेशन के प्रबंधक और जिला विपणन अधिकारी को किसानों का शत-प्रतिशत भगतान करने के निर्देश दिए हैं। अब यह कब तक और कैसे हो पाता है यह देखना होगा।
आंकड़ों में उपज की खरीदी
61009 किसानों से हुई खरीदी
18,41520 क्विंटल हुईखरीदी
805 करोड़ 83 लाख रूपए की खरीदी
788 करोड़ 34 लाख का हुआ भुगतान
1400 किसानों का भुगतान अभी बाकी
17 करोड़ रुपए का भुगतान अभी बाकी
मप्र में सर्वाधिक किसानों से खरीदी
मप्र में चना, मसूर और सरसों का सर्वाधिक रकबा विदिशा जिले में ही था। यह रकबा 2 लाख 63 हजार हेेक्टेयर के करीब था। हालांकि इस रकबे के कई किसानों ने अपना अनाज नहीं बेंचा। लेकिन जिले में सर्वाधिक किसानों ने अपना अनाज बेचा और सर्वाधिक खरीदी भी इसी जिले में हुई।
सोयाबीन, मूंग, उड़द का पंजीयन 10 से
उधर, इस वर्ष खरीफ फसल के इ-उपार्जन के लिए 10 अगस्त से सोयाबीन, मंूग, उड़द और अरहर का पंजीयन शुरू हो रहा है। यह पंजीयन 11 सितम्बर तक चलेगा। पंजीयन हर किसान को नया कराना होगा। पुराने पंजीयन मान्य नहीं होंगे। पंजीयन के लिए किसान को संबंधित खरीदी केन्द्र पर ही अपने दस्तावेजों के साथ संपर्क करना होगा।
कलेक्टर ने डाटा का मिलान कर किसानों को उनकी उपज का शत-प्रतिशत भुगतान 15 अगस्त तक करने के निर्देश दिए हैं। मप्र में सर्वाधिक किसानों से सर्वाधिक खरीदी विदिशा जिले में हुई है। -मोहन मारू, जिला आपूर्ति अधिकारी विदिशा
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