किसानों की उपज खरीदी के बाद उसके भुगतान का जिम्मा नागरिक आपूर्ति निगम का है। अनाज खरीदी के बाद निगम स्वीकृति पत्रक जारी करता है और वेयर हाउस में जमा होने के बाद किसान को उसका भुगतान कर दिया जाता है। यह सब ऑनलाइन होता है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक निगम के अमले के पास अनाज जमा करने का रिकार्ड अधूरा है। उसने अनाज जमा करने का आंकड़ा ऑनलाइन दर्ज नहीं किया, जिससे यह गफलत हुई। उसके पास जो आंकड़ा दर्ज है, उसके अनुसार वह भुगतान कर चुका है, लेकिन वह आंकड़ा अधूरा है, और कई किसान अभी भी भुगतान से वंचित हैं।
किसान से खरीदे गए अनाज में खरीदी के बाद किन्हीं कारणों से भी कमी आती है तो उसकी जिम्मेदारीभी तय कर दी गई है। खरीदी केन्द्र पर यदि अनाज में कमी सामने आती है तो इसकी जिम्मेदारी खरीदी कर रही संस्था की होगी और उसे ही उस राशि की पूर्ति करना होगी। जबकि परिवहन के दौरान यदि अनाज में कमी सामने आती है तो उसे परिवहनकर्ता से वसूला जाएगा।
किसानों का लंबित भुगतान देख कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक, वेयर हाउसिंग कार्पाेरेशन के प्रबंधक और जिला विपणन अधिकारी को किसानों का शत-प्रतिशत भगतान करने के निर्देश दिए हैं। अब यह कब तक और कैसे हो पाता है यह देखना होगा।
61009 किसानों से हुई खरीदी
18,41520 क्विंटल हुईखरीदी
805 करोड़ 83 लाख रूपए की खरीदी
788 करोड़ 34 लाख का हुआ भुगतान
1400 किसानों का भुगतान अभी बाकी
17 करोड़ रुपए का भुगतान अभी बाकी
मप्र में चना, मसूर और सरसों का सर्वाधिक रकबा विदिशा जिले में ही था। यह रकबा 2 लाख 63 हजार हेेक्टेयर के करीब था। हालांकि इस रकबे के कई किसानों ने अपना अनाज नहीं बेंचा। लेकिन जिले में सर्वाधिक किसानों ने अपना अनाज बेचा और सर्वाधिक खरीदी भी इसी जिले में हुई।
उधर, इस वर्ष खरीफ फसल के इ-उपार्जन के लिए 10 अगस्त से सोयाबीन, मंूग, उड़द और अरहर का पंजीयन शुरू हो रहा है। यह पंजीयन 11 सितम्बर तक चलेगा। पंजीयन हर किसान को नया कराना होगा। पुराने पंजीयन मान्य नहीं होंगे। पंजीयन के लिए किसान को संबंधित खरीदी केन्द्र पर ही अपने दस्तावेजों के साथ संपर्क करना होगा।